राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद यमुना बाजार इलाके में हालात बिगड़ गए हैं. सोमवार देर शाम पानी घरों में घुसते ही लोगों को अपना आशियाना छोड़कर छतों, सड़कों और टेंटों में शरण लेनी पड़ी. बाढ़ग्रस्त हालात में लोगों ने सोमवार की रात जागकर गुजारी. किसी ने अपना सामान छत पर चढ़ा लिया तो किसी ने सड़क किनारे बने अस्थायी टेंट में रात बिताई. दिल्ली सरकार ने यमुना बाजार के पास मुख्य सड़क के किनारे राहत टेंट लगाए हैं, लेकिन यहां खाने, पीने के पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.
दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है. इसके चलते यमुना बाजार, शास्त्री पार्क, अक्षरधाम के पास किशन कुंज सहित निचले इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया है. बाढ़ की स्थिति ने स्थानीय निवासियों को 2023 की तबाही की याद दिला दी, जब सैकड़ों लोगों को अपना घर और सामान छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर जाना पड़ा था. इस बार भी मंगलवार को बड़ी संख्या में लोग अपने घर छोड़कर टेंट और तिरपालों में शरण लेने को मजबूर हो गए. जिला प्रशासन ने प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी व्यवस्था की है, ताकि लोग सुरक्षित रह सकें.

झुग्गियां छोड़कर तिरपाल के नीचे लेनी पड़ी शरण
यमुना में जलस्तर बढ़ने से शास्त्री पार्क इलाके के हालात गंभीर हो गए हैं. कई परिवारों को अपनी झुग्गियां छोड़कर सड़क किनारे तिरपाल के नीचे शरण लेनी पड़ रही है. स्थिति यह है कि यहां अब तक न तो प्रशासन की ओर से टेंट लगाए गए हैं और न ही मेडिकल कैंप की व्यवस्था की गई है. उमस भरे मौसम में छोटे बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग खुले आसमान तले रहने को मजबूर हैं.

लोगों ने पेट पालने के लिए सड़क पर ही चूल्हा बनाकर खाना पकाना शुरू कर दिया है. उमस से बचने के लिए लोग हाथ से पंखा करते नजर आ रहे हैं. बाढ़ प्रभावित परिवारों का कहना है कि जलस्तर बढ़ने से उनकी रोज़ी-रोटी और बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है. कई मजदूर कामकाज से भी वंचित हो गए हैं. स्थानीय लोगों ने प्रशासन से जल्द से जल्द टेंट, मेडिकल सुविधाएं और खाने-पीने की व्यवस्था करने की अपील की है. दोपहर में एसडीएम ने प्रभावित इलाके का दौरा कर हालात का जायजा लिया और अधिकारियों को तत्काल टेंट और मेडिकल कैंप लगाने के निर्देश दिए.
बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि हर बार यमुना में जलस्तर बढ़ने से सबसे ज्यादा नुकसान उन्हीं को झेलना पड़ता है. स्थानीय निवासी विजेंद्र शर्मा ने बताया कि सोमवार को घरों में पानी घुसना शुरू हुआ था. हालात बिगड़ने पर कुछ लोग छत पर सोने को मजबूर हुए तो कुछ लोगों ने टेंट का सहारा लिया. उन्होंने कहा, “बाढ़ हर बार हमें भारी नुकसान पहुंचाती है. सरकार ने टेंट तो लगाया है, लेकिन खाने और पीने की कोई व्यवस्था नहीं है.”
45 साल से यमुना बाजार कॉलोनी में रह रहे शेषनाथ यादव ने बताया कि उनके घर का कमरा पूरा पानी से भर गया. रेहड़ी लगाकर जीवन यापन करने वाले शेषनाथ ने कहा, “सामान ऊपर रख दिया है, लेकिन खाना बनाने की जगह नहीं बची. मजबूरी में बाजार से खाना खरीदकर खाना पड़ रहा है. इस बार की बाढ़ सामान्य है और धीरे-धीरे पानी उतर रहा है.”

बाढ़ग्रस्त बस्ती में पहुंचीं मुख्यमंत्री
ल्ली में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच जाने के कारण निचले इलाकों में पानी भर गया है. हालात का जायजा लेने के लिए मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता खुद यमुना बाजार स्थित बाढ़ग्रस्त बस्ती पहुंचीं. मुख्यमंत्री ने बस्ती में मौजूद लोगों से बातचीत की और उनकी समस्याएं सुनीं. उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार हर संभव मदद करेगी और हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है. सीएम ने कहा कि फिलहाल यमुना से सटे इलाकों में बाढ़ की स्थिति नियंत्रण में है और जलस्तर घटने लगा है. सुबह लगभग 10 बजे मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता प्राचीन हनुमान मंदिर के सामने बनी बस्ती में पहुंचीं. उन्होंने देखा कि कई घरों में पानी घुसा हुआ है. मुख्यमंत्री खुद भी पानी में उतरीं और पीड़ित परिवारों से उनकी परेशानियों के बारे में जानकारी ली.
मुख्यमंत्री ने बताया कि, “सुबह जलस्तर 206 मीटर तक पहुंच गया था, लेकिन अब पानी घट रहा है. यह इलाका यमुना के बाढ़ क्षेत्र का सबसे निचला हिस्सा है. हमने लोगों से घर खाली करने का अनुरोध किया था, लेकिन कई परिवार यहीं रुके रहे. अभी बिजली बंद है, लेकिन मुझे लगता है कि एक-दो दिन में पानी उतर जाएगा.”
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