अमृतसर. शिअद (बादल) ने 1989 के लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार अमृतसर संसदीय हलके से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. लगभग 35 वर्ष के बाद अपने बलबूते से चुनाव मैदान में उतर रही शिअद ने पहली बार एक हिंदू चेहरे अनिल जोशी को टिकट देकर शहरी मतदाताओं, जिसमें बड़ी संख्या में शहरी हिंदुओं व दलित भाईचारा है, को अपने पक्ष में करने के लिए अनिल जोशी पर दांव खेला है.

शिअद (बादल) ने 1989 के लोकसभा चुनाव में कई साल बाद पहली बार पार्टी के सीनियर नेता व एसजीपीसी के तत्कालीन सचिव मंजीत सिंह कलकत्ता को चुनाव मैदान में उतारा था. इस चुनाव में कलकत्ता को मात्र 17,958 मत मिले थे. जो कुल पड़े मतों का मात्र 3 फीसदी से कुछ अधिक था. शिअद ने 1980 व 1984 के लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था. 1992 के चुनावों का शिअद ने बहिष्कार किया था. 1996 लोकसभा चुनाव में शिअद (मान) का उम्मीदवार दलजीत सिंह संधू चुनाव मैदान में थे. उन्हें 19,980 मत मिले थे. जो कुल पड़े मतों का मात्र 3 फीसदी था. 1998 से लेकर 2019 के बीच हुए लोकसभा चुनाव में के उम्मीदवार दया सोढी ने एक बार 2007 के उप चुनाव 2009 के लोकसभा नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा के दिग्गज नेता व 2019 में हरदीप हार मिली.

इसके साथ हुए उपचुनाव में राजिंदर मोहन सिंह गए थे. 2024 के में अकाली-भाजपा गठबंधन में भाजपा ने एक उपचुनाव सहित 4 बार जीता चुनाव 1998 से लेकर 2019 के आमने-सामने है. भाजपा ने एक लोकसभा चुनाव में भाजपा- शिअद के बीच हुए समझौते के दौरान भाजपा सिंह 2004, और चुनाव में जट्ट सिख व पूर्व अधिकारी तरनजीत सिंह संधू को टिकट दिया है. भाजपा ने इस संसदीय सीट में जातीय समीकरण साधने का प्रयास किया है. आम आदमी पार्टी ने मंत्री कुलदीप जीते. 2014 में धालीवाल को टिकट दिया है. कांग्रेस अरुण जेतली पार्टी की तरफ से वर्तमान सांसद पूरी को करारी गुरजीत औजला को टिकट की प्रबल ही 2017 में संभावना है. यदि कांग्रेस पार्टी के भाजपा उम्मीदवार उम्मीदवार में कोई परिवर्तन न हुआ छीना चुनाव हार तो इस संसदीय हलके से 3 जट्ट लोकसभा चुनाव सिखों के बीच एक हिंदू उम्मीदवार उम्मीदवार के बीच रोचक मुकाबला होगा.