पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। गोवर्धन पूजा के बाद गांव की खुशहाली के लिए एक-दो नहीं बल्कि ढाई-तीन सौ गोवंश सिरहा के ऊपर से होते हुए गुजर जाते हैं. इन सब के बावजूद गांव की परंपरा को बरकरार रख रहे सिरहा का बाल भी बांका नहीं होता, क्योंकि माना जाता है कि सिरहा पर गोवर्धन देव व सहाड़ा देव सवार होते हैं.
खुशहाली के लिए सोंटा खाने के अलावा गोवर्धन पूजा के दिन गरियाबन्द जिले के मैनपुर विकासखण्ड के भाठिगढ़ पँचायत के बरगांव में बरदी (गौ वंश के झुंड) दौड़ाने की भी परम्परा है. परंपरा के मुताबिक, पूरे गांव के गोवंश को गांव के पुराने गोठान के पास एकत्र किया जाता है, फिर गोवर्धन पूजा कर खिचड़ी खिलाने की रस्म भी पूरी की जाती है.
इसके बाद गांव में बीच गली पर दो सिरहा को बिठाया जाता है, एक पर गोवर्धन देवता तो दूसरे पर सहाड़ा देव विराजमान होते हैं. इसके बाद गली के एक छोर से पूरे गोवंशों को छोड़ा जाता है, जो दोनो सिरहा के ऊपर से होते हुए दूसरे छोर पहुंच जाता हैं. 8-10 मिनट तक गायों के खुर से रौंदे जाने के बाद भी दोनों सिरहा को कुछ भी नुकसान नहीं हुआ. ग्राम प्रमुख हेमसिंह नेगी ने बताया कि गांव के खुशहाली के लिए देवता सारा क्लेश व दुख अपने ऊपर लेते हैं.
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