रायपुर- मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफे के साथ ही मध्यप्रदेश में सियासत के शुरू होने जा रहे नए अध्याय पर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि सरकार गठन के बाद इतना बड़ा विभाजन देश के इतिहास में कभी नहीं हुआ होगा कि लोग अपनी विधायकी से ही इस्तीफा देने की लिए अड़ गए. मंत्री अपना पद त्याग विरोध में उठ खड़े हुए. अपना पूरा कॅरियर दाव पर लगा दिया. ये बताता है कि 15 महीने में ही मध्यप्रदेश की हालत इतनी खराब हो गई कि जनता का सरकार पर भरोसा खत्म हो गया.
डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि 22 विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में पार्टी छोड़ने का फैसला इसलिए किया, क्यूंकि उनकी बातें कहीं सुनी नहीं जा रही थी. वह प्रताड़ित थे. उन्हें मिलने तक का समय तक नहीं दिया जा रहा था. रमन ने कहा कि 2018 में चुनावी नतीजे आने के बाद से ही स्थिति स्पष्ट हो गई थी. चुनावी नतीजों का आंकलन किया जा सकता था कि जनता ने कांग्रेस की तुलना में बीजेपी को वोट ज्यादा दिया है. वोटिंग प्रतिशत बीजेपी का कांग्रेस से ज्यादा था. जोड़-तोड़ कर जरूर कांग्रेस ने सरकार बना ली थी.
पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि आज कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही यह तय हो गया है कि मध्यप्रदेश में अब बीजेपी की सरकार बनेगी. राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर बीजेपी को आमंत्रित करेंगे. फ्लोर टेस्ट की जरूरत तब पड़ती है, जब दोनों पक्ष सहमत होता है, यहां वैसी स्थिति नजर नहीं आ रही. उन्होंने कहा कि कमलनाथ ने भी स्पष्ट कह दिया है कि कांग्रेस अल्पमत में है. फ्लोर टेस्ट नहीं दे सकते. बीजेपी विधायक दल के नेता के चुनाव पर डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि केंद्र से पर्यवेक्षक आएंगे, सहमति बनेगी, इसके बाद ही विधायक दल का नेता तय होगा.