देहरादून. प्रदेश में इन दिनों कांग्रेस और बीजेपी में एक विषय काफी चर्चा में है. वो विषय है कि उत्तराखंड की राजनीति देहरादून हो या गैरसैंण. इसे लेकर प्रदीप टम्टा ने एक पोस्ट साझा किया था. जिसमें पूर्व सीएम हरीश रावत का भी जिक्र है. अब इस पर पूर्व सीएम ने प्रतिक्रिया दी है.

रावत ने लिखा है कि ‘प्रदीप जी, गैरसैंण में हजारों-करोड़ रुपया खर्च कर अब भी जो भ्रमित हैं, उन्हें मेरा प्रणाम. समय-समय पर ढेर सारे नेताओं ने गैरसैंण-गैरसैंण कहा है. मेरा मानना है कि उन्होंने जो कुछ उस समय कहा होगा, वह सत्य और होश हवास में कहा होगा. मेरी स्थिति बिल्कुल साफ है जब मैं राज्य के पक्ष में आया तो पूरी ताकत से आया. जब गैरसैंण के पक्ष में कदम उठाए तो पूरी शक्ति से उठाये. समय मिलता तो यह विवाद होता ही नहीं. लोगों से जब मैं समय मांग रहा था अधिकांश लोग उस समय मुझको कटघरे में खड़ा करने के भाजपाई प्रयासों के साथ ताली बजा रहे थे और उन्हें बल दे रहे थे. लोग अपने इस जन्म को सुधारने के बजाए अपने अगले सात जन्मों को सुधारने के लिए सोच रहे थे.’

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रावत ने आगे कहा कि ‘यदि मेरी सोच और समझ के साथ काम करने वाले के हाथ में बागडोर आएगी तो पलायन सहित इन सभी ज्वलंत प्रश्नों का समाधान कर दिया जाएगा मैंने कभी भी गैरसैंण को पहाड़ की राजधानी के रूप में नहीं देखा. जब मैं तथ्यों और तर्कों के साथ इस बात से पूर्णतः आश्वस्त हो गया कि पलायन और असंतुलित विकास का समाधान गैरसैंण है. जब मैं इस तथ्य से भी सहमत हो गया कि गैरसैंण का अर्थ है कि राज्य के लिए नये आर्थिक, विकास क्षेत्रों का अस्तित्व में आना तो मैंने गैरसैंण की ओर कदम बढ़ाए. मैंने इस दौर में इतना कड़वा सुना है कि मैं इस समय दिल्ली में होता और वहां राजनीति कर रहा होता. मगर मेरी सोच के अधूरे एजेंडे अब भी मुझे उत्तराखंड की राजनीति के खूंटे से बांधे हुए है.’

‘आप फायदा उठाना चाहते हैं तो मैं तत्पर पर हूं. यदि नहीं उठाना चाहते हैं तो सोच लूंगा कि दिल्ली ही ठीक है. यूं भी राजनीतिक लोगों के बुढ़ापे का उपचार स्थल एम्स भी दिल्ली में ही है. जय उत्तराखंड.’