शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने सोयाबीन की खरीदी को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अब तक केंद्र सरकार को प्रस्ताव नहीं भेजा है। पिछले साल 25 सितंबर से रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया था। इससे साफ है कि किसानों को प्रताड़ित किया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि खरीदी की प्रक्रिया शुरू न होने से औने पौने दाम में बिचौलियों को बेचने से उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। कमलनाथ ने सरकार से मांग की है कि जल्द ही प्रस्ताव भेजकर निश्चित समय पर MSP पर सोयाबीन की खरीद सुनिश्चित की जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर लिखा- ‘मध्य प्रदेश की सरकार प्रदेश के किसानों को एक बार फिर से परेशान करने की तैयारी कर रही है। सोयाबीन की खरीद के लिए प्रदेश सरकार ने अब तक केंद्र सरकार को प्रस्ताव नहीं भेजा है। पिछले सालों में इस समय तक केंद्र सरकार को सोयाबीन खरीद का प्रस्ताव भेज दिया जाता था। पिछले साल 25 सितंबर से रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया था और 25 अक्टूबर से सोयाबीन की MSP पर खरीद प्रारंभ हो गई थी। साफ है कि किसानों को प्रताड़ित करने के लिए भाजपा सरकार जानबूझकर प्रस्ताव भेजने में देरी कर रही है। देरी करने से MSP पर सोयाबीन की खरीद की प्रक्रिया देर से शुरू हो पाएगी और इस बीच मजबूरी में किसानों को औने पौने दाम पर बिचौलियों को सोयाबीन बेचना पड़ेगा।’
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मूंग खरीदी मामले में भी अपनाया था किसान विरोधी रवैया- पूर्व सीएम
उन्होंने कहा कि ‘अभी मंडी में सोयाबीन का दाम 4500 रुपया प्रति क्विंटल है, जबकि सरकार की ओर से सोयाबीन का घोषित MSP 5328 रुपये प्रति क्विंटल है। स्पष्ट है कि सरकारी खरीद शुरू न होने से किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। इससे पहले मूंग की खरीद के मामले में भी भाजपा सरकार ने इसी तरह का किसान विरोधी रवैया अपनाया था। सरकार ने जानबूझकर लंबे समय तक मूंग खरीदी का प्रस्ताव केंद्र सरकार को नहीं भेजा था और इस बीच सूत्रों के हवाले से ऐसी खबरें चलायी थी कि मध्य प्रदेश के किसानों का मूंग ज़हरीला है। बाद में कांग्रेस पार्टी और किसानों के भारी विरोध के बाद सरकार ने मूंग खरीद की प्रक्रिया शुरू की थी।’
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यूरिया का भी जिक्र, सरकार से की ये मांग
कमलनाथ ने यूरिया का जिक्र करते हुए कहा कि ‘इसी तरह प्रदेश में जब किसानों को यूरिया की आवश्यकता थी तो समय रहते भाजपा सरकार ने प्रदेश के लिए यूरिया नहीं मंगवाया था और दो महीने तक किसानों को लगातार यूरिया के लिए संघर्ष करना पड़ा था जो अब भी जारी है। ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा सरकार जानबूझकर की खरीद और खाद उपलब्धता जैसे विषयों में देरी कर देती है और फिर इससे किसानों को जो परेशानी होती है, उससे कालाबाज़ारी और बिचौलियों को परोक्ष रूप से फायदा पहुंचाती है।’ वहीं पूर्व सीएम ने मांग करते हुए कहा कि ‘मध्य प्रदेश सरकार से आग्रह करता हूं कि तय समय पर सोयाबीन खरीद का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया जाए और निश्चित समय पर MSP पर सोयाबीन की खरीद सुनिश्चित की जाए।’
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