नेहा केशरवानी, रायपुर. प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले को लेकर सीएम के ट्वीट पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन का बयान सामने आया है. सबसे बड़ा झूठ तो मुख्यमंत्री ने कहा है, मुख्यमंत्री दिखाए कि कौन से हाइकोर्ट ने कहा है? कौन से हाइकोर्ट के डॉक्यूमेंट हैं? हाइकोर्ट ने कौन सा आदेश दिया हैं? ये सिर्फ भ्रम फैलाने का काम करते हैं. न कोई हाइकोर्ट का फैसला आया है. न ही हाइकोर्ट का निर्देश हैं, वो सिर्फ मनगढ़ंत बात कर रहे.

कौन-कौन कांग्रेस के नेता डायरेक्ट और अध्यक्ष हैं – राजेश मूणत

इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले को लेकर पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने कांग्रेस पर सवालों की बौछार की है. मूणत ने कहा, इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक के संचालक महोदय कौन हैं, जरा उनके नाम स्पष्ट करें. कांग्रेस पार्टी के पूर्व पदाधिकारी इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक के संचालक मंडल के सदस्य हैं. अगर घोटाला हुआ है, तो हम जांच के लिए तैयार हैं. दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.

मूणत ने आगे कहा कि, कांग्रेसी यह भी बताएं कि, इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक के डायरेक्ट और अध्यक्ष कौन-कौन कांग्रेस के नेता हैं, जिनका ट्रांजैक्शन वहां से चलता रहा है. जिन लोगों ने फर्जी लोन उठाया है, जरा उसके बारे में भी कांग्रेसी मित्र बोलें. कांग्रेसियों में ताकत है तो प्रदर्शनी बैंक के संचालक मंडल के नाम की घोषणा करें, जिन लोगों ने करोड़ों-अरबों रुपए का लोन लेकर खा गए.

प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला मामले में भाजपा प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने कहा, हम हर तरह के जांच के लिए तैयार हैं. हम किसी जांच से नहीं डरते. कांग्रेस ईडी के जांच से क्यों घबरा रही बताए.

दरअसल, छत्तीसगढ़ के चर्चित प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले मामले में सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा, जिला न्यायालय ने मंगलवार को जनता की गाढ़ी‌ कमाई के पैसों के गबन के प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच की अनुमति दे दी है. बैंक संचालकों सहित कई अन्य लोगों को भी पैसे दिए गए हैं. भ्रष्टाचार उजागर होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए.

सीएम भूपेश बघेल ने कहा, नार्को टेस्ट में प्रमुख अभियुक्तों में से एक उमेश सिन्हा ने बताया‌ था कि उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके मंत्रियों अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल व रामविचार नेताम सहित कई भाजपा नेताओं को करोड़ों रुपए दिए थे.

क्या है प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला

रायपुर स्थित सहकारी बैंक इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में 2006 में यह घोटला सामने आया था. करीब 28 करोड़ के इस घोटाले में बैंक मैनेजर सहित संचालक मंडल के सदस्‍यों जिनमें ज्‍यादार महिलाएं शामिल थी, उन्‍हें आरोप बनाया गया था. इसमें तत्‍कालीन सरकार के मंत्रियों और कुछ अफसरों का भी नाम आया था.

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