रायपुर- कोरोना आपदा के बीच राज्य सरकार के प्रयासों को पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने नाकाफी बताया है. उन्होंने कहा है कि दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों के प्रति जो सहानुभूति, संवेदना सरकार के भीतर नजर आनी चाहिए थी, वह नहीं दिखी. मजदूरों की वापसी को लेकर किसी तरह का डायलाग सरकार ने नहीं किया. रमन ने कहा कि सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे मजदूरों के पैरों में पड़ने वाले छाले देखकर मुख्यमंत्री को नींद कैसे आ सकती है? यह बेहद आश्चर्यजनक है. पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य के प्रशासनिक महकमे पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अधिकारी इस वक्त अपने घरों में बैठकर नेटफ्लिक्स पर फिल्म देख रहे है, जबकि उन्हें कोआर्डिेशन का काम करना चाहिए.

डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि उत्तरप्रदेश सरकार ने दूसरे राज्यों में फंसे अपने मजदूरों को लाने के लिए अब तक 352 ट्रेने चलाई है, 8 लाख मजदूर वापस लाए गए हैं. गुजरात सरकार ने 236 ट्रेने चलाई है, 2 लाख 90 हजार मजदूरों की वापसी कराई है, लेकिन अकेला छत्तीसगढ़ उदाहरण है, जहां सबसे ज्यादा गरीब, पिछड़े, हैंड टू माउथ तबके के मजदूरों की वापसी के लिए सरकार ने पर्याप्त ट्रेन की व्यवस्था नहीं की. हालत यह है कि दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर भीख मांगने पर मजबूर हैं, मुख्यमंत्री ऐसे बेफिक्र होकर राज कर रहे हैं, जैसे कुछ हुआ ही नहीं. अब तक मजदूरों को लेकर कम से कम 50 ट्रेने आ जानी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने अपने बैरियर खोल दिए  हैं, जिससे मजदूर पैदल वापसी कर रहे हैं. रेलवे मिनिस्टर से ट्रेनों की डिमांड तक के लिए फोन नहीं किया गया. इसलिए ट्रेन भी नहीं मिली. फंसे मजदूरों की वापसी के लिए बसें नहीं भेजी जा रही . मजदूर जीवन और मरण के बीच फंसा है. एक तरफ सोनिया गांधी कहती हैं कि कांग्रेस फंसे मजदूरों की उनके राज्यों में भेजने का खर्चा देगी, पर हालात कुछ और है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं अपने रिसोर्सेज के जरिए अन्य राज्यों में फंसे मजदूरों के लिए प्रयासरत हूं. छत्तीसगढ़ के मजदूर सूरत में फंसे हैं, कलेक्ट्रेट के बाहर बैठे हुए हैं. यह काम मुख्य मंत्री का था. चीफ सेक्रेटरी का था. मजदूरों की मदद के लिए 24 घंटे का फुल डेस्क बनाना चाहिए था. यह एक्युट इमरजेंसी है. लगातार बात करनी चाहिए थी. रमन ने कहा कि मुझे रात में बैचेनी होती है. हम ऐसे मौके पर सो कैसे सकते हैं. छत्तीसगढ़ ने ऐसा दौर पहले कभी नहीं देखा था.

दुनिया का चौथा सबसे बड़ा आर्थिक पैकेज

कोरोना संकट से उबरने 20 लाख करोड़ रूपए के आर्थिक पैकेज के ऐलान पर पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि यह बहुत बड़ा पैकेज है. दुनियाभर में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान के बाद भारत चौथा देश हैं, जहां की सरकार ने अपनी जीडीपी का दस फीसदी की राशि आर्थिक पैकेज के लिए देने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि जो एमएसएमई सेक्टर, जहां दस करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है, उन्हें बड़ी राहत मिलेगी. कोरोना का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव इस सेक्टर को हुआ था. यह बंद होने की कगार पर आ गई थी. इस सेक्टर को बूस्ट मिला है. जो मजदूर खाली है, उन्हें तत्काल रोजगार के अवसर मिलेंगे. यह फैक्टरी फिर से काम करेंगे. यह मदद नहीं होती, तो आने वाले छह महीनों तक फैक्टरी चालू नहीं हो पाती. बिना गारंटी के लोन उद्योगों को दी जा रही है. पैकेज में मार्केट में लिक्विडिटी कैसे बढ़े. इसके उपाय किए गए हैं. पावर कंपनी को 90 हजार करोड़ का पैकेज रखा गया है. देश में एमएसएमई का डेफिनेशन बदल गया है. लांग टर्म इकोनामी को बूस्ट करना होता है, तब बड़े कदम उठाने होते हैं. 25 लाख से बढ़कर 1 करोड़ टर्न ओवर की सीमा तय की गई है.

रमन ने कहा कि शासकीय सेवकों को टीडीएस में छूट दी गई, इपीएफ में दी गई राहत से मार्केट में फंड की लिक्विडिटी बढ़ेगी. इससे बड़ा फायदा होगा. किसानों के साथ ही आर्थिक पैकेज की शुरूआत हुई. जनधन खातों में पैसे दिए गए. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब आप इंडस्ट्री को मदद कर रहे हैं, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य के लिए 72 लाख कर्मचारियों को मदद कर रहे हो, जन धन खाताधारी महिलाओं को मदद कर रहे हो. इंडस्ट्री के सभी सेक्टर को टच करने का प्रयास होता है, तो रोजगार खुलती है. कोई कल्पना करता था कि 20 लाख करोड़ का पैकेज इस परिस्थिति में दिया जा सकेगा. यह अपने आप में कंपलीट पैकेज है. कोई भी सेक्टर का इंडस्ट्री हो. फिक्की, एसोचैम, सीआईआई सबने इसका स्वागत किया है.