प्लॉट घोटाले में फंसे पंजाब के पूर्व वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने बठिंडा कोर्ट में दायर की अग्रिम जमानत की अर्जी मंगलवार को वापस ले ली।

अपनी कोठी बनाने के लिए बठिंडा मॉडल टाउन फेस-1 में बीडीए के अधिकरियों से मिलीभगत कर कामर्शियल प्लाट को रिहायशी बनाकर खरीदने के मामले में विजिलेंस ब्यूरो बठिंडा की तरफ से बादल के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।

बादल के साथ ही एक पीसीएस अधिकारी समेत छह लोगों पर धोखाधड़ी करने समेत विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज है। इसी मामले में मनप्रीत बादल ने बठिंडा कोर्ट में अग्रिम जमानत दायर की थी। उनकी अर्जी की सुनवाई एडिशन सेशन जज राम कुमार गोयल की अदालत में होनी थी, लेकिन मंगलवार को मनप्रीत बादल के वकील एडवोकेट सुखदीप बिंदर ने अग्रिम जमानत की अर्जी कोर्ट से वापस ले ली है। अब मनप्रीत बादल के वकील जमानत के लिए याचिका दायर करेंगे। विजिलेंस ने सभी आरोपियों के खिलाफ एलओसी भी जारी कर दी है।


बिना डिजिटल हस्ताक्षरों का उपयोग कर किया घोटाला


प्लॉट घोटाले में विजिलेंस ने जांच में पाया गया कि मनप्रीत बादल ने वर्ष 2018 से 2021 तक वित्त मंत्री रहते समय राजनीतिक दबाव के चलते माॅडल टाउन फेज 1 में 1560 वर्ग गज के दो महंगे प्लाट काम दाम पर खरीदे थे। इस कारण सरकार को करीब 65 लाख रुपये का नुकसान हुआ। पूर्व वित्त मंत्री ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए बठिंडा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (बीडीए) के अधिकारियों व कर्मियों के साथ मिलीभगत कर वर्ष 2021 में प्लाटों की बोली दौरान आम लोगों को गुमराह करते हुए फर्जी नक्शे अपलोड करवाए गए थे, जिससे बोली प्रक्रिया में आम लोगों की भागीदारी को रोका जा सके। अपलोड किए नक्शे में प्लाट नंबर 725 सी 560 गज, 726 जो 1000 गज को भी रिहायशी के बजाय व्यापारिक दिखाया गया था और प्लाटों के नंबर ऑनलाइन ई-आक्शन पोर्टल पर पाए नक्शे में नहीं दिखाए गए थे। इन प्लाटों की नीलामी के लिए बीडीए की महिला अधिकारी बलविंदर कौर के फर्जी डिजिटल हस्ताक्षरों का उपयोग किया था।