कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में ओबीसी के 27% आरक्षण के मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले पर हुई सुनवाई को लेकर पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है. कमलेश्वर पटेल ने कहा कि यदि सरकार आज कोर्ट में सही डाटा उपलब्ध करा देती तो, यह सुनवाई 30 तारीख के लिए नहीं बढ़ती और आज ही इस पर फाइनल फैसला हो जाता.

कमलेश्वर पटेल ने कहा कि ओबीसी आरक्षण मामले में आज हाईकोर्ट में कांग्रेस की ओर से खड़े अधिवक्ताओं ने पुरजोर तरीके से आरक्षण दिलाने की मांग की. कमलनाथ सरकार ने मध्य प्रदेश में 27% आरक्षण लागू किया था. उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार के महाधिवक्ता द्वारा मुख्य सचिव को 25 अगस्त को पत्र लिखकर प्रशासन में सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व के डेटा चाहे थे, जो अप्राप्त है, इसलिए केसों की सुनवाई नहीं हो सकी. जिस तरह से शासन उच्च न्यायालय को ओबीसी से जुड़ा डाटा उपलब्ध नहीं करा रहा है, उससे साफ पता चलता है कि सरकार की मंशा को अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण बनाए रखने की नहीं है.

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कांग्रेस की ओर से वकील ने दी जोरदार दलील

कमलेश्वर पटेल ने कहा कि कांग्रेस की ओर से पेश हुए वकील इंदिरा जयसिंह और अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले की जोरदार पैरवी की. इंदिरा जय सिंह का मुख्य तर्क था कि मध्यप्रदेश में ओबीसी की 51% आबादी का डेटा पिछली सरकार द्वारा हाइकोर्ट में दाखिल किया गया है. साथ ही प्रदेश में ओबीसी की आबादी को ध्यान में रखते हुए 27% आरक्षण किया गया है. जहां तक 50% लिमिट का प्रश्न है इसका संविधान में कोई प्रावधान नहीं है. इसके साथ ही इंदिरा साहनी के मामले में व्यवस्था के अनुसार ओबीसी का कुल आरक्षण 50% की सीमा के अंदर है, चूंकि इन सभी प्रकरणों में केवल ओबीसी के ही आरक्षण को चुनौती दी गई है, इसलिए इन प्रकरणो में इंदिरा साहनी का केस बाधक नहीं है.

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मामले में अभिषेक मनु सिंघवि का तर्क

मामले में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का तर्क था कि लेजिस्लेशन की संवैधनिकता को चुनौती दी गई, जबकि संविधान में आरक्षण की कुल सीमा का कोई प्रावधान नहीं है. अकेले ओबीसी के आरक्षण की सीमा 50% की लिमिट क्रॉस नहीं हो रही है. सरकार को जब पता था कि ओबीसी की 51% आबादी है, लेकिन एडक्यूट रिप्रजेंटेशन के सिद्धांत को दृष्टिगत रखते हुए ओबीसी को 27% आरक्षण दिया गया है, जो न्यायसंगत है.

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जानबूझकर सरकार टाल रही है मामला

पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने बताया कि शिवराज सिंह चौहान सरकार पिछले 17 महीने से जानबूझकर कमलनाथ सरकार द्वारा ओबीसी को दिए गए 27% आरक्षण पर बैठी रही. उसके महाधिवक्ता को अदालत के फैसले को समझने में 17 महीने लग गए. उन विभागों में भी आरक्षण नहीं दिया गया, जिन पर हाईकोर्ट में कोई रोक नहीं लगाई थी. सरकार और उसके वकीलों की इस नियत को देखते हुए कमलनाथ ने कांग्रेस की ओर से इन दोनों वरिष्ठ वकीलों को पैरवी के लिए उतारा.

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सरकार ने निभाई खलनायक की भूमिका

कमलेश्वर पटेल ने कहा कि शिवराज सरकार ने इस पूरे मामले में खलनायक की भूमिका निभाई है और जानबूझकर 17 महीने तक हाईकोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करके सभी पदों पर 27 फ़ीसदी आरक्षण के आधार पर भर्तियां नहीं होने दी. इस पूरी अवधि के दौरान जो लोग सरकारी नौकरी और पढ़ाई में प्रवेश पाने से वंचित रह गए ओबीसी वर्ग के उन सभी युवाओं से शिवराज सिंह चौहान को माफी मांगनी चाहिए.

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