चंडीगढ़। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह NDA की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हो सकते हैं. वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का विलय बीजेपी में हो सकता है. कैप्टन अमरिंदर के PM नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अच्छे संबंध हैं. फिलहाल कैप्टन अमरिंदर इलाज के लिए अभी लंदन में हैं. उनकी सर्जरी हुई है. वे इस महीने के दूसरे हफ्ते में पंजाब लौट आएंगे. देश के मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को खत्म हो रहा है. इससे पहले 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति चुनाव होंगे. इसके लिए 5 जुलाई को अधिसूचना जारी होने के बाद 19 जुलाई तक नामांकन भरे जाएंगे.
इसी महीने होना है राष्ट्रपति चुनाव, इसके बाद होगा उपराष्ट्रपति चुनाव
वहीं इस महीने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं. द्रौपदी मुर्मू को NDA ने अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के मुताबिक, 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होगा और मतगणना 21 जुलाई को होगी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और अगले राष्ट्रपति के चुनाव का एलान इसी को ध्यान में रखते हुए किया गया है.
2024 लोकसभा चुनाव में पंजाब साधने की कोशिश
इधर भाजपा कैप्टन अमरिंदर सिंह के सहारे पंजाब को साधने की कोशिश कर रही है. कैप्टन पंजाब की राजनीति में सालों से हैं. उनकी लोकप्रियता हर वर्ग में है. इसलिए कैप्टन के सहारे 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की नजर पंजाब की 13 सीटों पर है. पंजाब भाजपा के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने कैप्टन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने के सवाल पर कहा कि यह फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है. हालांकि, उन्होंने इससे इनकार भी नहीं किया.
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विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह का नहीं चला जादू
बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह 2 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे. पिछले साल अचानक से सितंबर में उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया, जबकि विधानसभा चुनाव सर पर थे. उनकी जगह चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया गया. दिसंबर में कैप्टन ने कांग्रेस से भी इस्तीफा दे दिया और पंजाब लोक कांग्रेस के नाम से अपनी नई पार्टी बना ली. बीजेपी के साथ उन्होंने गठबंधन में इस साल फरवरी में विधानसभा चुनाव लड़ा. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उनके कैंडिडेट के साथ कैप्टन खुद भी हार गए. भाजपा को भी सिर्फ 2 सीटें मिलीं. हालांकि, कांग्रेस को भी कैप्टन के चले जाने का भारी नुकसान उठाना पड़ा. कांग्रेस महज 18 सीटों पर सिमट गई और आप 92 सीटों पर विजयी रही.
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