रायपुर। सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम कांग्रेस में खुद को चवन्नी सदस्य कहते हैं. वो कहते हैं कि चवन्नी की कोई औकात होती नहीं है. मुख्यमंत्री से वे मिलने के लिए वक्त मांग रहे हैं, लेकिन वक्त नहीं मिल रहा है. जाहिर उनके इस बयान से पता चलता है कि वे सरकार से या कांग्रेस पार्टी से नाराज चल रहे हैं.
आज उन्होंने पत्रकारों से चर्चा में एड़समेटा न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट सहित कई मुद्दों पर चर्चा की. उन्होंने सरकार से मांग कि एड़समेटा कि रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि गलती किसकी थी और दोषियों पर क्या कार्रवाई की जा रही है.
अगर सरकार ऐसा नहीं करती है, तो इससे यही संदेश जाएगा कि सरकार पुलिस के साथ है, आदिवासियों के साथ नहीं. उन्होंने फर्जी ग्राम सभा और बस्तर चल रहे आंदोलनों पर भी बात की और कहा कि बस्तर में आदिवासियों की स्थिति अच्छी नहीं है.
उन्होंने कहा कि बस्तर में आदिवासियों की स्थिति अच्छी होती तो वहां आंदोलन नहीं हो रहे होते. बस्तर में सिलगेर जैसे कई जगहों पर आंदोलन क्यों हो रहे हैं ? सरकार यह बताना चाहिए.
दरसअल, आदिवासी गांवों में केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती नहीं होनी चाहिए. आज बस्तर में सवा लाख से ज्यादा सुरक्षा बल तैनात है. आने वाले वर्षों में यह संख्या दो लाख के करीब पहुंच जाएगी.
उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रदेश में कोई गृहमंत्री है भी या नहीं यह समझ नहीं आता है. आज तक गृहमंत्री बस्तर में आंदोलनरत आदिवासियों से मिलने के लिए नहीं पहुंचे.
सरकार के मंत्रियों को आंदोलनरत् आदिवासियों से जाकर बात करनी चाहिए. लेकिन ऐसा कहीं हो नहीं रहा है. वहीं उन्होंने एक और बड़ी बात यह भी कही कि मेरा अनुभव यह कहता है कि प्रदेश में कभी आदिवासी मुख्यमंत्री नहीं हो सकता है.