अभिषेक सेमर, तखतपुर. बिलासपुर जिले के तखतपुर क्षेत्र के ग्राम भीमपुरी में किसान के साथ फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है. एक किसान के खाते से बिचौलिया ने आहरण पर्ची में फर्जी हस्ताक्षर कर 50 हजार रुपए निकाल लिया. इस मामले में बैंक कर्मियों की भूमिका भी संदेहास्पद है. बैंक मैनेजर इसे कैशियर की गलती बता रहे हैं, वहीं इस मामले में सहायक आयुक्त सहकारिता मुंगेली ने शिकायत प्राप्त होने पर जांच कराने और दोषियों के विरुद्ध अपराध दर्ज कराने की बात कही है.
जानकारी के अनुसार ग्राम भीमपुरी के रामेश्वर पोर्ते के जिला सहकारी बैंक के खाते से उसके धान के समर्थन मूल्य की राशि 50000 रुपए गांव के ही एक धान बिचौलिए ने 25-25 हजार करके दो बार में निकाल लिया. जब रामेश्वर पोर्ते अपनी आवश्यकता पड़ने पर रकम निकालने बैंक पहुंचा तो इसकी जानकारी मिलने पर उनके होश उड़ गए. उनके खाते में 83000 होने की जगह मात्र 33000 शेष राशि बची थी. उसके खाते से 50 हजार बिना उसकी जानकारी के निकाले जा चुके थे.


किसान ने जब स्टेटमेंट निकलवाया तो पता चला कि उसके खाते से 25 – 25 हजार करके क्रमशः 2 फरवरी और 12 फरवरी को आहरण किया गया है. रामेश्वर पोर्ते ने जब मैनेजर को यह बात बताई कि उसने ना तो किसी व्यक्ति को आहरण पर्ची पर हस्ताक्षर करके दिया है और ना ही स्वयं राशि का आहरण किया है.इसके बाद बैंक मैनेजर ने उसे डांट लगाकर उल्टे पांव लौटा दिया. रामेश्वर पोर्ते ने गांव के बिचौलिए मोहन डडसेना से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने राशि निकालने से इनकार कर दिया. जब रामेश्वर पोर्ते ने पुलिस में मामला दर्ज करने की बात कही तो मोहन डडसेना पहले तो उसे और उसके परिवार के सदस्यों को धमकाने लगा और बैंक में जाकर पता करके बताने की बात कहने लगा, लेकिन जब रामेश्वर पोर्ते और उसके पारिवारिक सदस्य जूनापारा चौकी गए तो उसके पहले ही मोहन ने चौकी आकर उनके साथ समझौता कर लिया और 50000 की राशि निकालने की बात स्वीकार करते हुए उन्हें राशि वापस करने का आश्वासन दिया.
बिना पासबुक और हस्ताक्षर के हो गया भुगतान
रामेश्वर पोर्ते ने बताया कि मोहन डडसेना बिचौलिया का कम करता है. इस साल उसने मेरी जमीन के पंजीयन पर बाहर से खरीदे हुए कुछ धान को बेचा था, जिसकी राशि मेरे जिला सहकारी बैंक लोरमी शाखा में खुले खाते में आया था. उस खाते में मेरे धान के समर्थन मूल्य की राशि भी जमा हुई थी, लेकिन मोहन डडसेना ने बिना मेरी जानकारी के बैंक वालों से मिली भगत करके मेरा फर्जी हस्ताक्षर कर अपने धान के पैसे के साथ मेरा भी पैसा निकाल लिया. रामेश्वर पोर्ते का कहना है कि मेरे खाते का पासबुक मेरे ही पास है और किसी भी व्यक्ति को कोई भी पर्ची हस्ताक्षर कर नहीं दिया तो बैंक से पैसा कैसे निकल गया. इसमें बैंक के कर्मचारियों की मिलीभगत है. बिना उनके सहयोग के राशि कैसे निकल सकती है?
बैंक मैनेजर कैशियर पर लगा रहे दोषारोपण
इस मामले में जब जिला सहकारी बैंक लोरमी शाखा के शाखा प्रबंधक संतोष कौशिक से पूछा गया तो पहले उन्होंने एक इकरारनामा दिखाया, जिसमें फर्जी पैसे रामेश्वर द्वारा ही निकाले जाने की बात लिखी है. उसके बाद कहने लगे कि 25 हजार तक की राशि का भुगतान कैशियर को खुद ही करने का अधिकार है. यह मेरे टेबल पर नहीं आता है. कैशियर ने भुगतान किया है तो देखभाल कर ही किया होगा. फिर बताया कि मोहन और रामेश्वर आपसी सहमति से पैसे निकालते थे, मगर कुछ विवाद के कारण यह स्थिति आई है. बाद में कैशियर ने रामेश्वर को ही भुगतान किया है. अब यदि भुगतान रामेश्वर को हुआ है तो उससे इकरारनामा लेने की आवश्यकता क्यों हुई ? दूसरा यह कि पैसा किसान के हाथ में दिया गया था तो विवाद क्यों हुआ? जब रामेश्वर ने कोई पर्ची जमा नहीं किया था तो आहरण पर्ची पर हस्ताक्षर किसका है?
बिचौलिए और बैंक कर्मियों के बीच है पुरानी सांठगाठ
जिला सहकारी बैंक लोरमी के कर्मियों और जूनापारा क्षेत्र सहित आसपास के धान के बिचौलियों के बीच पुरानी सांठगांठ है. इसी के चलते एक साल पूर्व करीब 18 आदिवासियों के बैंक खाते से पैसे निकाले जाने के मामले में तत्कालीन शाखा प्रबंधक और कैशियर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराया गया था, इसके बावजूद भी बैंक कर्मियों और बिचौलियों के बीच का सिंडिकेट नहीं टूट रहा है और बिना खाता धारकों के जानकारी के पैसों का आहरण लगातार जारी है. ताजा मामले में वर्तमान शाखा प्रबंधक और कैशियर की संलिप्तता तथा स्पष्ट रूप से प्रतीत होता है. इसी सांठगांठ के चलते खाताधारकों की जानकारी के बिना बिचौलियों को भुगतान कर दिया जाता है, जबकि नियमतः खाता धारक की स्वयं की उपस्थिति और साथ में पासबुक होना अति आवश्यक है, लेकिन पासबुक लेकर रामेश्वर घर में था और मोहन ने फर्जी आहरण पर्ची भरकर राशि निकाल ली.
जांच कर दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई : सहायक आयुक्त
इस मामले में हितेश कुमार श्रीवास सहायक आयुक्त सहकारिता मुंगेली ने कहा, आपके माध्यम से जानकारी मिल रही है. यदि किसान शिकायत करता है तो नियमानुसार जांच कर दोषियों के विरुद्ध पुलिस में मामला दर्ज कराया जाएगा. बिचौलिया मोहन डडसेना से जब इस विषय के बारे में पूछा गया तो पहले तो उसने राशि आहरित किए जाने से इनकार कर दिया, लेकिन जब पूछा गया कि जब राशि का आहरण नहीं किया है तो किसान से किस बात का समझौता करके उसे 50 हजार की राशि दिए हो तो उसने पूछकर बताता हूं कहकर फोन काट दिया. अब देखना होगा कि बैंक कर्मियों और बिचौलिए की मिलीभगत के इस मामले में सिर्फ जांच होती है या दोषियों के ऊपर कोई कार्रवाई होगी.
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