FSSAI Milk Packaging Case : भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अपना वह निर्देश वापस ले लिया है, जिसमें खाद्य कारोबारियों से दूध की पैकेजिंग से ‘A1’ और ‘A2’ लेबल हटाने को कहा गया था.
इस आदेश के बाद अब ई-कॉमर्स कंपनियां और खाद्य कारोबार A1 और A2 लेबल वाली पैकेजिंग के साथ दूध और उसके उत्पाद बेचना जारी रख सकते हैं. पिछले सप्ताह खाद्य नियामक ने दूध की पैकेजिंग पर A1 और A2 लेबलिंग के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी और इसे भ्रामक बताया था.
FSSAI ने अपने आदेश में कहा था कि ये दावे खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अनुरूप नहीं हैं. इसलिए नियामक इस श्रेणी और भेद को मान्यता नहीं देता है. सोमवार को जारी एक नई एडवाइजरी में नियामक ने कहा, “21 अगस्त, 2024 की एडवाइजरी हितधारकों के साथ आगे के परामर्श के लिए वापस ली जाती है.” A1 और A2 दूध में मौजूद प्रोटीन की संरचना से संबंधित हैं
क्या है A1 और A2 प्रकार के लेबल का अर्थ (FSSAI Milk Packaging Case)
दूध और उसके उत्पादों पर A1 और A2 प्रकार के लेबल का अर्थ दूध में मौजूद ‘बीटा-कैसीन प्रोटीन’ की रासायनिक संरचना से संबंधित है. यह दूध देने वाले पशु की नस्ल और उत्पत्ति के अनुसार अलग-अलग होता है. बीटा कैसिइन दूसरा सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन है. इसमें अमीनो एसिड का बेहतर पोषण संतुलन होता है. नियामक ने 6 महीने के भीतर इस लेबलिंग को हटाने को कहा है.
क्रॉस ब्रीडिंग से पैदा हुई गायों का दूध A1 प्रकार का होता है
A2 दूध मूल रूप से भारतीय (देसी) नस्ल की गायों से आता है, इसमें प्रोटीन भरपूर होता है. इनमें लाल सिंधी, साहीवाल, गिर, देवनी और थारपारकर जैसी श्रेणियां शामिल हैं.
जबकि, A1 दूध यूरोपीय मवेशी नस्ल से आता है. ये गायें क्रॉस ब्रीडिंग से पैदा होती हैं. इनमें जर्सी, आयरशायर और ब्रिटिश शॉर्ट हॉर्न जैसी श्रेणियां शामिल हैं.
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