लंदन। दुनिया के बड़े औद्योगिकी देशों के समूह G-7 ने चीन के महत्वकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड परियोजना’ (BRI) के मुकाबले में ‘बिल्ड बेक बेटर वर्ल्ड’ (B3W) का मसौदा लेकर आया है. G-7 देशों ने सामूहिक वादा किया है कि वे B3W के जरिए आर्थिक रूप से पिछड़े देशों में अरबों के निवेश को प्रोत्साहित करेंगे.

चीन अपने बीआरआई प्रोजेक्ट के जरिए न केवल एशिया बल्कि अफ्रीका और यूरोप तक के देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के नाम पर बेहिसाब कर्ज दे रहा है. अपनी क्षमता से बढ़कर कर्ज लेने वाले गरीब देश इसके बाद चीन के ऐसे मकड़जाल में फंस जाते हैं, जिससे निकलने के लिए पूरा प्रोजेक्ट तक सौंपना पड़ जाता है, जैसा कि श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह के मामले में हुआ.

G-7 देशों का कहना है कि B3W के जरिए आर्थिक तौर से कमजोर देशों के विकास में उनकी भागीदारी बढ़ेगी, वहीं योजनाओं में पारदर्शिता बरती जाएगी. G-7 में शामिल ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के रविवार को अंतिम समझौते को प्रकाशित करने के साथ B3W को लेकर ज्यादा जानकारी सामने आएगी.

चीन की आई तीखी प्रतिक्रिया

G-7 देशों की इस पहल पर चीन की तीखी प्रतिक्रिया आई है. ब्रिटेन में में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि वे दिन जब देशों के एक छोटा समूह वैश्विक फैसले तय किया करता था, वे लंबे समय से खत्म हो गए हैं. हम हमेशा मानते हैं कि बड़े या छोटे, मजबूत या कमजोर, गरीब या अमीर सभी देश बराबर हैं. वैश्विक मुद्दों पर सभी देशों के परामर्श के बाद ही फैसले लिए जाने चाहिए.