दिल्ली. गंगा के लिए स्वामी सानंद के अपने प्राण गंवाने के बाद आखिर केंद्र सरकार गंगा कानून को मूर्त रूप देने की तैयारी में जुट गई है. इससे जुड़े राष्ट्रीय नदी पुनरुद्धार, संरक्षण एवं प्रबंधन बिल का मसौदा तैयार हो गया है. संसद के शीतकालीन सत्र में इस पर सरकार की बिल लाने की योजना है. बिल पारित होते ही गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा मिल जाएगा.

एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है. गंगा की परिभाषा में अब तक गोमुख से गंगासागर तक को शामिल किया जाता था. नई परिभाषा में अब पंच प्रयागों पर मिलने वाली सभी धाराओं को गंगा की परिभाषा में शामिल किया गया है.

मसौदे में गंगा पर बांध बनाने को स्वीकार किया गया है, मगर गंगा के प्रवाह को बनाए रखने का शर्त भी जोड़ा गया है. इससे जुड़ी गवर्निंग काउंसिल 11 सदस्यीय होगी, जिसमें 5 गंगा के विशेषज्ञ होंगे. बिल में गिरधर मालवीय कमेटी के 80 फीसदी सुझावों को शामिल किया गया है. गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए भी कई कड़े प्रावधानों का जिक्र है.

गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के उद्देश्य से कानून बनाने के लिए केेंद्र सरकार ने गंगा महासभा के मुखिया गिरिधर मालवीय की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी. इसने पिछले साल अप्रैल में अपनी रिपोर्ट केंद्र को दे दी थी. कानून बनाने की दिशा में बात आगे न बढ़ने पर विरोधस्वरूप स्वामी सानंद अनशन पर बैठे. उनकी 113 दिनों के अनशन के बाद मौत हो गई.

गंगा में कम पानी और गाद अब भी बड़ी समस्या है. सरकार ने इस नदी में परिवहन को हरी झंडी तो दी है, मगर बीते महीने इसकी सच्चाई तब सामने आई, जब हल्दिया से बनारस रवाना किया गया जहाज गाद और कम पानी के कारण कई जगह फंस गया. पहले यह फरक्का में फंसा. इसके बाद यह जहाज पटना में रेत में फंस गया.

गंगा महासभा के सदस्य स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने इस बारे में कहा कि हमें संतोष है कि आखिरकार सरकार बिल ला रही है. सरकार ने स्वामी सानंद के 80 फीसदी सुझावों को शामिल किया है. सरकार को बताना चाहिए कि अस्वीकार किए गए 20 फीसदी सुझाव कौन से हैं. सरकार को मसौदे पर सभी पक्षों से वार्ता करनी चाहिए.