Gangaur Festival 2024 : मारवाड़ी समाज का लोकपर्व ईशर गणगौर उत्सव गुरुवार को मूर्ति विसर्जन के साथ ही संपन्न हुआ. लगातार सोलह दिनों तक पूजा के बाद समाज के साथ अन्य सुहागन महिलाओं ने ईशर गणगौर को भावभीनी विदाई दी.
इसके पूर्व सुबह घरों में ईशर गणगौर की मूर्ति की पूजा की गई. संध्या समय नदी किनारे मूर्ति ले जाकर विसर्जन किया गया. इस व्रत में नवविवाहिताएं सोलह दिनों तक प्रतिदिन नियमपूर्वक ईशर-गणगौर को पूजती हैं.
गौरी-शंकर के विवाह का समय
शादी के बाद प्रथम वर्ष लड़कियां अपने पीहर जाकर गणगौर की पूजा करती हैं. इसे ‘सुहागपर्व’ भी कहा जाता है. कहा जाता है कि चैत्र शुक्ला तृतीया को (11 अप्रैल) राजा हिमाचल की पुत्री गौरी का विवाह भगवान शंकर के साथ हुआ, उसी की याद में यह त्योहार मनाया जाता है. पूजा के लिए होलिका दहन के दूसरे दिन (25 मार्च) गणगौर पूजने वाली लड़कियां होलिका की राख लाकर उसकी आठ पिंडी बनाती हैं. आठ पिंडी गोबर की भी बनाती हैं. उन्हें दूब पर रखकर प्रतिदिन पूजा करती हुई दीवार पर एक काजल व एक रोली की टिकी लगाती हैं. इन पिंडों को शीतलाष्टमी तक पूजा जाता है, फिर मिट्टी से ईशर गणगौर की मूर्तियां बनाकर उन्हें पूजती हैं.
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