किसी भी अपराध में जांच के लिए फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) विभाग की सबसे अहम भूमिका होती है. क्योंकि अपराध का पता लगाने के लिए शरीर के तरल पदार्थो की भी जांच की जाती है. फॉरेंसिक रिपोर्ट में मिले सबूत को अदालत भी अहम प्रमाण मानती है.

पुरुषोत्तम पात्र,गरियांबद। जिले के देवभोग थाना इलाके के कैठपदर में 28 दिसंबर को प्रेमी ने नाबालिग प्रेमिका की हत्या कर दी थी. मर्डर के आरोप में पुलिस आरोपी प्रेमी चंद्रध्वज नागेश को गिरफ्तार भी कर चुकी है. लेकिन फॉरेंसिक विभाग ने पुलिस के सबूत को पर्याप्त नहीं माना है. क्योंकि पुलिस कातिल को सलाखों के पीछे भेजने की जल्दबाजी में मृतिका का पूरा सैंपल लेना ही भूल गई. इसलिए डॉक्टरों ने कब्र से शव निकलवाकर दोबारा डीएनए सैंपल लिया है. जिससे अपराध की पुष्टि हो सके.

पुलिस के मुताबिक मृतिका नाबालिग का डीएनए सैंपल लेने के लिए न्यायालय से अनुमति लिया गया. जिसके बाद शव को देवभोग तहसीलदार समीर शर्मा की मौजूदगी में कब्र से बाहर निकालकर डीएनए जांच के लिए डॉक्टरों ने हड्डी और बाल का सैंपल लिया है. देवभोग थाना प्रभारी हर्ष वर्धन बैस ने बताया कि डीएनए जांच के लिए जिस अंग का सैंपल पहले भेजा गया था, उसे फॉरेंसिक विभाग ने पर्याप्त नहीं माना है. इसलिए विधिवत अनुमति लेकर दोबारा सैंपल लेने लिया गया. अब पुलिस को फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है.

इसे भी पढ़ें- छत्तीसगढ़: ‘लव सेक्स और धोखा’, शादी से पहले प्रेमी ने की नाबालिग मंगेतर की हत्या, वजह हैरान करने वाली है, पढ़िए पूरी कहानी 

इस मामले में पुलिस केवल हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है. आरोपी ने पुलिस के समक्ष मेमोरंडम कथन में अपराध को स्वीकार भी किया है. आरोपी ने पुलिस को बताया कि उसका प्रेमिका के साथ अवैध संबंध था और वारदात के दिन भी शारीरिक संबंध बनाया. लेकिन डॉक्टरों ने पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि नहीं की है. पुलिस के मुताबिक घटना का कोई भी चश्मदीद गवाह भी नहीं है. नाबालिग की हत्या हो चुकी थी, ऐसे में दुष्कर्म का मामला दर्ज करना आसान नहीं था.

इसलिए पुलिस हत्या मामले में साक्ष्य जुटाने के लिए फूंक-फूंककर कदम उठाना पड़ रहा है. पुलिस के सामने अभी साक्ष्य जुटाने और केस को मजबूत करने के लिए समय है. यदि हत्यारा उसका प्रेमी ही है, तो पुलिस को कोर्ट में सबूत पेश करना होगा. इसलिए पुलिस को एफएसएल रिपोर्ट और डीएनए मेपिंग कराना अनिवार्य हो गया है. जिससे पीड़िता के परिवार को न्याय मिल सके. हालांकि पुलिस मौके-ए-वारदात से कई जरूरी साक्ष्य एकत्र कर जांच के लिए लेबोटरी भेज चुकी है.