पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। जिले के नागाबुड़ा स्थित कृषक सूचना केंद्र में लाखों रुपये की कीटनाशक, फफूंदनाशक, जैविक खाद और कल्चर लंबे समय तक बंद कमरे में पड़ी-पड़ी सड़ गई। हालत यह हो गई कि सामग्री से दुर्गंध फैलने लगी और भवन खुद जर्जर होने लगा। स्थिति बिगड़ने पर ग्राम पंचायत ने इसे ट्रैक्टर में लादकर गांव के बाहर फिंकवा दिया।

बता दें कि यह कृषि सामग्री किसानों को खेती में आधुनिक तकनीक से अवगत कराने के लिए प्रदर्शनी योजना के तहत खरीदी गई थी। लेकिन जिला मुख्यालय से महज 6 किमी दूर स्थित इस केंद्र में वर्षों तक यह सामग्री धूल खाती रही, और अंततः अनुपयोगी हो गई।

उपसरपंच बोले – कई बार प्रशासन को लिखा, किसी ने नहीं सुनी बात
नागाबुड़ा के उपसरपंच तोमस साहू ने बताया कि बारिश के चलते दवाओं में सड़न शुरू हो गई थी। कमरे का दरवाजा खराब हो चुका था और आसपास के क्षेत्र में बदबू फैलने लगी थी। पास ही स्थित उपस्वास्थ्य केंद्र आने वाले लोग भी परेशान थे। कई बार प्रशासन को पत्र लिखा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः ग्रामवासियों की सहमति से यह दवाएं गांव के बाहर फेंक दी गईं ताकि बदबू और गंदगी से निजात मिले और भवन का सही उपयोग हो सके।
करीब 7 लाख की दवा यूं ही नष्ट, योजनाओं की पोल खुली

बताया जा रहा है कि फेंकी गई सामग्री तीन ट्रैक्टर ट्रॉलियों में भरकर ले जाई गई, जिसकी अनुमानित कीमत 7 लाख रुपये से ज्यादा हो सकती है। कृषि विभाग द्वारा पिछले 10 वर्षों से किसानों को धान और दलहन उत्पादन में तकनीकी सहायता देने हेतु यह सामग्री मुफ्त में वितरित की जानी थी, लेकिन जमीन पर इसका उपयोग नहीं हो सका।

कौन जिम्मेदार?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि ये दवाएं किस ग्राम सेवक या अधिकारी के कार्यकाल में लाई गई थीं और क्यों नहीं वितरित की गईं। वर्तमान ग्रामीण विस्तार अधिकारी (REO) तरुण कश्यप ने बताया कि उन्हें यहां पदस्थ हुए एक साल हुआ है। ये दवाएं उनके कार्यभार ग्रहण करने से पहले से ही वहां बंद कमरे में पड़ी थीं। इसकी सूचना विभाग को भी दे दी गई थी। वहीं कृषि उपसंचालक चंदन राय ने मीडिया के माध्यम से मामले की जानकारी मिलने की बात कही और कहा कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।
गौरतलब है कि यह घटना न सिर्फ सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे संसाधनों की उपेक्षा से न किसानों को लाभ मिल पाता है और न सरकारी धन का सदुपयोग हो पाता है। अब यह देखना होगा कि पूरे मामले की जांच के बाद दोषियों के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई की जाएगी ? या फिर यह मामला यूं ही रफा-दफा कर दिया जाएगा।
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