पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जहां पूरे देश में योग को लेकर उत्साह और जागरूकता देखने को मिली, वहीं छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक शिक्षक ने पारंपरिक योग पद्धति के ज़रिए सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। झरगांव प्राथमिक शाला के शिक्षक मदनलाल नेताम ने इस अवसर पर प्राचीन योगिक शुद्धि क्रिया “सूत्र नेति” का प्रदर्शन किया, जिसे आज के समय में बहुत कम लोग जानते हैं या अभ्यास करते हैं।

मदनलाल नेताम न केवल खुद इस विशेष योग क्रिया का अभ्यास करते हैं, बल्कि अपने विद्यालय में बच्चों को भी इसे सिखा रहे हैं। उनका मानना है कि पारंपरिक योग विधियों को आगे बढ़ाना समय की आवश्यकता है, खासकर तब जब नई पीढ़ी तकनीक की ओर अधिक झुकाव रखती है और शारीरिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ करती है।

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क्या है ‘सूत्र नेति’?

“सूत्र नेति” एक विशिष्ट योगिक तकनीक है, जिसमें सूती धागा या रबर की पतली नली नाक के रास्ते धीरे-धीरे डाली जाती है और मुंह से निकाली जाती है। यह प्रक्रिया नाक, गले और श्वसन तंत्र को शुद्ध करती है और साइनस, एलर्जी तथा सांस संबंधी समस्याओं में राहत देती है। यह क्रिया हठ योग की शुद्धि क्रियाओं में से एक मानी जाती है और योग शास्त्रों में इसका विस्तार से उल्लेख मिलता है।

उद्देश्य

सूत्र नेति का मुख्य उद्देश्य नाक के मार्ग को साफ करना, बलगम और अशुद्धियों को हटाना, और श्वसन तंत्र को बेहतर बनाना है।

सूत्र नेति विधि के लाभ

  • नाक के मार्ग को साफ करता है और बंद नाक को खोलने में मदद करता है।
  • एलर्जी, साइनस, और सर्दी-जुकाम से राहत दिलाता है।
  • श्वसन क्रिया को बेहतर बनाता है और फेफड़ों को शुद्ध करता है।
  • मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता में सुधार करता है।

सूत्र नेति विधि के अभ्यास के दौरान रखें ये सावधानियां

  • सूत्र नेति एक उन्नत योग क्रिया है, और इसे अनुभवी योग शिक्षक के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
  • यदि आपको नाक से खून आने की समस्या है, तो इसे करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • धागे को बहुत जोर से न खींचें, क्योंकि इससे नाक में चोट लग सकती है।
  • यदि आपको मतली या उल्टी महसूस होती है, तो अभ्यास को तुरंत बंद कर दें।

सूत्र नेति विधि की अन्य महत्वपूर्ण बातें

  • सूत्र नेति के साथ-साथ जल नेति (Jal Neti) भी एक लोकप्रिय नाक की सफाई की विधि है, जिसमें नाक को पानी से धोया जाता है।
  • दोनों विधियों का उद्देश्य नाक के मार्ग को साफ करना और श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखना है।
  • योग में, इन क्रियाओं को “षट्कर्म” कहा जाता है, जो शरीर को शुद्ध करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए की जाती हैं।

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