पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबंद। संकुल केंद्रों के लिए जारी फर्नीचर मद को खपाने जिला अधिकारी के मौखिक आदेश पर स्टील इंडस्ट्रीज से अनुपयोगी सामानों की सप्लाई किया गया है. ज्यादातर केंद्रों में समन्वयकों ने सप्लायरों को लिखित आदेश मांग कर दो टूक जवाब दे दिया है.

मार्च महीने में राज्य परियोजना कार्यालय ने प्रदेश के सभी संकुल केंद्र मुख्यालय में विभिन्न मदो में आवश्यक ब्यय के लिए सवा लाख रुपये जारी किये थे. जिसमें फर्नीचर मद के लिए 80 हजार ब्यय तय किया गया था. जारी गाइड लाइन में इस राशि के उपयोग संकुल स्तर पर बने क्रय समिति के प्रस्ताव के आधार पर केंद्र के लिए आवश्यक फ़र्नीचर की खरीदी का अधिकार प्रत्येक संकुल समन्वयक को दिया गया था. लेकिन अगस्त माह से गरियबंद और छुरा ब्लॉक के ज्यादातर संकुल केंद्र में संकुल समन्वयक की आवश्यकता जाने बगैर सामान की सप्लाई कर दिया गया है. गरियाबंद, दर्रीपारा, मालगांव समेत ज्यादातर संकुल समन्वयकों ने बताया की जिला शिक्षा अधिकारी का मौखिक आदेश था. इसलिए सामान अनलोड करवा लिए पर जब तक लिखित आदेश नहीं मिलता न तो भुगतान करेंगे न ही सामान कि रिसिव्ड पावती देंगे.

प्लास्टिक के बजाए लोहे के अनुपयोगी सामान

चूंकि क्रय फर्नीचर मद पर होना था, पर सामग्री रायपुर पंडरी स्थित स्टील उद्योग द्वारा हो रहा था. कुर्सी, टेबल, कम्यूटर टेबल जैसे फ़र्नीचर की ज्यादा आवश्यकता थी, लेकिन लोहे के रेक व आलमारियों की संख्या थोपा जा रहा था. बाजार भाव से ऑफिसियल कुर्सी की कीमत ज्यादा बताई जा रही थी. ऐसे में बवाल तो होना ही था. पिछले एक सप्ताह से खरीदी की आड़ में खपाई के इस खेल की चर्चा जिले भर में हो रही थी. ऐसे में अब पर्दा डालना भी जरूरी था. अफसर नियमों का हवाला देकर नए नए आदेश जारी कर रहें है.

क्यों जरूरत पड़ी दोबारा आदेश जारी करने की

28 अक्टूबर को जिला परियोजना कार्यालय (डी एम सी) से सभी ब्लॉक समन्वयक को आदेश जारी कर कहा गया है कि क्रय नियम का पालन कर खरीदी किया जाए. क्रय समिति के बगैर भौतिक सत्यापन के भुगतान नहीं किया जाना है. भुगतान के पूर्व ब्लॉक स्रोत समन्वयक की अनुमति अनिवार्य होगी. अक्टूबर में निकले इस आदेश के पहले ही अगस्त माह में ही सामग्री पहुंच गया है. जिले के 85 संकुलों में से 30 से भी ज्यादा केंद्रों में नियम को ताक में रख कर सामान खपाया जा चुका है. हालांकि भुगतान किसी ने नहीं किया है. डीएमसी श्याम चंद्राकर ने कहा कि जून में ही आदेश जारी कर नियमानुसार क्रय करने कहा गया था, कई केंद्रों से सूचना दिया जा रहा था कि मांग के अनुरूप सामग्री नहीं है. भुगतान को लेकर भी पूछे जा रहे थे, क्योंकि इस मद के ब्यय का अधिकार संकुल स्तर क्रय समिति को है. जून के आदेश को रिमाइंडिंग कराने फिर से आदेश जारी किया गया ताकि खरीदी नियम से हो.

शासन स्तर पर सब कुछ तय है, हम केवल माध्यम है

मामले में जिला शिक्षा अधिकारी भोपाल तांडे ने कहा कि ई टेंडरिंग के माध्यम से फर्म ऊपर से ही तय किया गया है. सामग्री क्या देना है. किस कीमत पर देना है. ये भी शाशन स्तर पर तय है, हम केवल माध्यम है.