बेंगलुरु. लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की सनसनीखेज हत्याकांड की जांच कर रही विशेष अदालत ने एक बड़े घटनाक्रम में 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए हैं. यह कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (केसीओसीए) 2000 के प्रावधानों के तहत एक आरोपी मोहन नायक एन के खिलाफ आरोप तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी की पृष्ठभूमि में आता है.

 विशेष न्यायाधीश अनिल भीमन्ना कट्टी ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आरोपी व्यक्ति को आरोप पढ़कर सुनाए. आरोपियों को बेंगलुरु के परप्पना अग्रहारा सेंट्रल जेल, मुंबई आर्थर रोड जेल और पुणे की यरवदा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश किया गया. आरोपियों को आरोपों को कन्नड़ और मराठी में पढ़ा गया.

अदालत ने सुनवाई की तारीख तय करने के लिए मामले को 8 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है. आरोपियों ने जेल में अपने वकीलों से मिलने के लिए अदालत से अनुमति मांगी और गौरी लंकेश की हत्या के आरोपों में खुद को दोषी नहीं ठहराया. अदालत ने उन्हें इस संबंध में आवेदन जमा करने को कहा है. अदालत ने केंद्रीय कारागार, परप्पना अग्रहारा में जेल अधिकारियों को भी निर्देश दिया है कि वे अदालत की सहमति के बिना आरोपी व्यक्तियों को स्थानांतरित न करें.

जाने कब और कैसे हुई थी गौरी लंकेश की हत्या

गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को बाइक सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. गौरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सहित दक्षिणपंथी हिंदू संघों पर अपने लेखन के जरिए किए गए हमलों के लिए जानी जाती थीं. हिंदू देवताओं पर उनकी टिप्पणी भी हिंदू संगठनों के साथ अच्छी नहीं रही है. वह माओवादियों को मुख्यधारा में लाने में भी सक्रिय रूप से शामिल थीं. गौरी लंकेश की हत्या प्रोफेसर एम.एम. कलबुर्गी के बाद हुआ था. प्रोफेसर कलबुर्गी की हत्या 30 अगस्त 2015 हो हुई थी. कोकलबुर्गी हिंदू धर्म में अंध विश्वासों पर अपने लेखन के जरिए हमलों के लिए भी जाने जाते थे. वह दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों के भी आलोचक थे.

पुलिस ने अमोल काले, अमित बद्दी, परशुराम वाघमोर, गणेश मिस्किन, अमित देगवेकर, भरत कुराने, राजेश डी. बंगेरा, सुधन्वा गोंडालेकर, मोहन नायक एन., सुरेश एचएल, शरद बी. कालस्कर, वासुदेव बी. सूर्यवंशी, सुजीतकुमार, मनोहर यादव, श्रीकांत जे. पगारकर, के.टी नवीन कुमार नवीन कुमार और रुशिकेश देवाडेकर को गौरी मर्डर केस में गिरफ्तार किया है.