Gemology: जैसा कि आप नाम से ही समझ रहे हैं कि केतु मणि मुख्य रूप से केतु ग्रह से संबंधित है। यह मणि केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव से मुक्ति दिलाने में सहायक सिद्ध होता है। जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए केतु मुख्य रूप से जिम्मेदार होता है। इन सभी ग्रहों की शांति और कुंडली में केतु दोष के अच्छे और बुरे प्रभाव के कारण ही यह केतु मणि है, हालांकि केतु हमेशा किसी व्यक्ति को बुरे परिणाम नहीं देता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु बृहस्पति के साथ मिल जाए तो इसके प्रभाव से व्यक्ति राजा के समान जीवन जीने में सक्षम होता है। यदि केतु की यह युति मंगल के साथ हो तो व्यक्ति को साहस प्रदान करती है।
केतु मणि के लाभ
- केतु ग्रह से पैर, कान, रीढ़ की हड्डी, घुटने, लिंग, किडनी, जोड़ों का दर्द जैसी बीमारियों का संकेत मिलता है।
- केतु के पीड़ित होने पर व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, ऐसे व्यक्ति को केतु मणि धारण करना चाहिए।
- जिस व्यक्ति की कुंडली में केतु अशुभ भाव में बैठकर अशुभ फल दे रहा हो, उसे केतु मणि धारण करना चाहिए।
- केतु मणि अपने धारक में आत्म-नियंत्रण और अनुशासन लाता है।
- केतु मणि लकवा, हृदय रोग, दाद, फोड़े, फुंसी, चेचक, रीढ़ और पैरों की समस्याएं, गठिया, पैर, जोड़ों और घुटनों में दर्द, जलोदर और हार्मोनल असंतुलन जैसी बीमारियों के लिए जिम्मेदार है, जिनका इलाज केतु मणि पहनकर किया जा सकता है।
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