सरगुजा. हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति एवं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने धरना दिया गया. यह धरना परसा कोल ब्लॉक के लिए जबरन भू अधिग्रहण एवं बालसाय सहित अन्य ग्रामीणों पर दर्ज फर्जी केश के विरोध में दिया गया. जिसमें ग्राम साल्ही, हरिहरपुर, घाटबर्रा, फतेहपुर, पुटा, मदनपुर, डूमरडीह, करौंदी, डांडग़ांव, मुडग़ांव, सलबा, सलका, नवागांव, शिवपुर आदि गांव के ग्रामीण शामिल हुए.
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के मनबोध सिंह मरकाम का कहना है कि बालसाय कोर्राम की गिरफ्तारी पूर्णतः गलत हैं और इसे कंपनी के दवाब में किया गया हैं. कानून के तहत वन जमीन का निरीक्षण और सत्यापन वन विभाग करता हैं और राजस्व की जमीन का राजस्व विभाग के पटवारी से लेकर तहसीलदार कलेक्टर करते हैं. इस स्थिति में बालसाय अकेले दोषी कैसे हो सकते हैं.
वरिष्ठ अधिवक्ता अमरनाथ पांडेय ने कहा कि अडानी कंपनी के दवाब में सरगुजा का जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन काम कर रहा हैं. आदिवसियों के जीवन जीने के प्राकृतिक संसाधन जल जंगल जमीन को छीनने के लिए संवैधानिक प्रावधानों, नियमो कानूनों की लगातार धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि विकास के नाम पर भारी विनाश हो रहा हैं. रमन सरकार कार्पोरेट हितों को साधने के लिए उनकी लूट को सुनिश्चित करने लिए पेसा, वनाधिकार मान्यता जैसे कानूनों का पालन नहीं कर रही हैं. बढ़ी आश्चर्य की बात हैं कि छत्तीसगढ़ में विभिन्न भाजपा सहित राज्यों को आवंटन के जरिये दी गई कोल ब्लॉक में खनन हेतु एमडीओ अनुबंध एक ही कंपनी को कैसे मिल रहे हैं, राज्य सरकार उस mdo का खुलासा सूचना के अधिकार में भी नहीं कर रही हैं. इसका मतलब साफ हैं कि कंपनी को गैरकानूनी रूप से अवैध मुनाफा पहुचाया जा रहा हैं. इसका खुलासा एक मैगजीन परसा ईस्ट केते बासन कोयला खदान के सम्वन्ध में कर चुकी हैं. जाहिर हैं जब एक ही कंपनी को इतने सारे कोयला खदान दिए जा रहे हैं तो उनके विकास हेतु सभी प्रक्रियाओं को भी दरकिनार किया जा रहा हैं.
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के रमाकान्त बंजारे ने कहा कि प्रदेश में जंगल जमीन की लूट चल रही हैं और उसका विरोध करने वाले नेतृत्वकारी साथियों का दमन किया जा रहा हैं.
खदान प्रभावित ग्रामीणों जयनन्दन पोर्ते, मंगलसाय, उमेश्वर अर्मो ने कहा कि खनन कंपनी के लिए सारे अधिकारों को ही मानों निलंबित कर दिया गया हैं. शासन प्रशासन सभी का एक ही मकसद हैं कि हम अपनी पीढ़ियों से काबिज जंगल जमीन को कंपनी के लिए छोड़ दे.
अंत में धरना स्थल पर ही राज्यपाल, मुख्य सचिव और कलेक्टर के नाम पर ज्ञापन तहसीलदार महोदय को सौंपा गया.