चंद्रकांत देवांगन, दुर्ग। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिले के पाटन ब्लाक में हरेली तिहार के अवसर पर प्रदेश की जनता को गोधन न्याय योजना की सौगात दी. ग्रामीणों ने सरकार की इस योजना की सराहना करते हुए गौ पालन के क्षेत्र में इसे क्रांतिकारी कदम बताया.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने विधानसभा क्षेत्र में योजना का शुभारंभ करते हुए इसे ग्राम उत्थान की दिशा में एक बड़ा क़दम बताया. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जब यह योजना अपना मूर्त रूप लेगी तो हर ग्रामवासी स्वालम्बन की दिशा में आगे बढ़ता दिखेगा. महात्मा गांधी के ग्राम उत्थान की सोच की दिशा सरकार का यह एक कदम है.
योजना शुरू होने के पहले ही दिन ग्रामीण गोबर की बिक्री करने गौठनो में पहुंचे. दुर्ग जिले में 3 जनपद – पाटन, धमधा और दुर्ग के 32 गांव में इस योजना की शुरुआत हुई, जिसमें ग्रामीणों ने अपनी सक्रिय सहभागिता दिखाते हुए भगभग 9126 किलो गोबर का विक्रय किया. अब तक यह य़ोजना 56 अन्य गांवों में शुरू हो चुकी है, जहां लागभग 5944 किलो गोबर की खरीदी की जा चुकी है. धीरे–धीरे इस योजना से जिले के अन्य गांवों को जोड़ा जाएगा.
गोधन न्याय योजना को लेकर ग्रामीणों में अच्छा खासा उत्साह है. पांडुका के तीरथ यादव ने लल्लूराम डॉट कॉम को बताया कि यह योजना ग्रामीणों के लिए बेहद लाभकारी है. वह 22 किग्रा गोबर बेचा है. उसके पास 18 गाय हैं, जिनसे करीबन 2 क्विंटल गोबर होता है. अब उनके गाय के गोबर को बेचने से उन्हें पैसे भी मिलेंगे, वहीं खेती के लिए खाद भी गांव से ही उपलब्ध होगा, जिससे किसान जैविक खेती पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे.
हसदा की रहने वाली महिला स्व–सहायता समूह की गंगोत्री साहू की माने तो इस तरह की योजना पहले कभी नहीं थी, गोधन न्याय योजना के माध्यम से सरकार ने पशु पालकों पर बड़ा ही उपकार किया है, ग्रामीण अब अपने आवारा पशुओं को भी घरों में या गौठानों के माध्यम से गोबर का विक्रय कर लाभ अर्जित कर रहे हैं. गंगोत्री साहू ने 200 किग्रा गोबर अपने स्वसहायता समूह के माध्यम से ग्रामीणों से क्रय किया है, 13 सदस्यों वाले इस समूह को योजना के जरिए आय बढ़ाने में मदद मिलेगी.
पाटन केसरा ग्राम पंचायत के ग्रामीण माखन का कहना था कि उसके घर मे पशुपालन की परंपरा पुरखों से चली आ रही है. उन्होंने पहले दिन 30 किग्रा गोबर बेचा है. इस योजना को वे स्वच्छता की दिशा में भी एक बड़ा कदम बताते हुए कहते है कि पहले पशुओं को कही बाहर छोड़ दिया जाता था, जिससे वो कही पर भी अपना गोबर विसर्जित कर देती थी. इसका कोई मूल्य न होने की वजह से पशु पालक भी ध्यान नहीं देते थे, जिससे गंदगी भी फैलती थी. अब एक निश्चित समय पर ही अपने पशुओं से विसर्जित गोबर को बेच कर पैसा पाएंगे, बल्कि आसपास के क्षेत्र भी साफ–सुथरा रहेगा.
जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि योजना के तहत पहले दिन ग्रामीण क्षेत्र के 32 पंचायतों में शुरू किया गया है. प्रथम दिन लगभग 9 हजार 126 किलो गोबर क्रय किया गया था दूसरे दिन संख्या बढ़कर 69 किलो अतिरिक्त क्रय किया गया. वर्तमान में लगभग 126 गौठानो में 20 हजार गोबर खरीदी चुका है. 31 जुलाई तक जिले के 216 गौठानो इस योजना का प्रारंभ क्रय की प्रक्रिया आरंभ किया जाएगा.