भारत में सोने को हमेशा से सुरक्षित निवेश माना गया है. लेकिन अब इसका रूप बदल गया है. पहले सोना मुख्य रूप से गहनों और सिक्कों के रूप में खरीदा जाता था, लेकिन अब लोग इसे निवेश के लिए ज्यादा पसंद करने लगे हैं. इसके पीछे वजह भी मजबूत है, सिर्फ साल 2025 में सोने ने 43% और पिछले एक साल में करीब 52% तक का रिटर्न दिया है. यही कारण है कि अगस्त 2025 में गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold ETF) में रिकॉर्ड 1,950 करोड़ रुपए का निवेश हुआ. जुलाई की तुलना में यह निवेश करीब 68% ज्यादा है.

गोल्ड ETF क्या है और कैसे काम करता है?

Gold ETF यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड असल में सोने पर आधारित निवेश साधन है. इसकी कीमत सोने के भाव पर निर्भर करती है. एक यूनिट गोल्ड ETF = 1 ग्राम सोना. लेकिन खास बात यह है कि इसमें आपको फिजिकल सोना हाथ में नहीं मिलता. यह आपके डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़ता है. जब चाहें आप इसे बेच सकते हैं और उस समय के सोने की कीमत के हिसाब से पैसा आपके खाते में आ जाता है. इसकी खरीद-बिक्री स्टॉक एक्सचेंज (BSE/NSE) पर शेयर की तरह होती है.

गोल्ड ETF क्यों बन रहा है निवेशकों की पसंद?

  1. कम मात्रा में खरीदना आसान

फिजिकल गोल्ड आमतौर पर तोला (10 ग्राम) के हिसाब से खरीदा जाता है. छोटे निवेशकों के लिए यह महंगा पड़ सकता है. वहीं Gold ETF में एक यूनिट = 1 ग्राम सोना होता है. यानी निवेशक धीरे-धीरे या SIP के जरिए भी सोने में पैसा लगा सकते हैं.

  1. शुद्धता की गारंटी

Gold ETF की कीमत अंतरराष्ट्रीय मानक (London Bullion Market Association) पर आधारित होती है. इसमें 99.5% तक की शुद्धता की गारंटी होती है. वहीं, ज्वेलर्स से खरीदे गए सोने की शुद्धता और कीमत दोनों पर संदेह बना रहता है.

  1. ज्वेलरी मेकिंग चार्ज से बचत

फिजिकल सोने पर 8% से लेकर 30% तक मेकिंग चार्ज देना पड़ता है. इसके मुकाबले Gold ETF में सिर्फ 1% या उससे कम ब्रोकरेज और सालाना करीब 1% पोर्टफोलियो चार्ज लगता है.

  1. सुरक्षा की चिंता खत्म

फिजिकल गोल्ड घर में रखने पर चोरी का डर रहता है और लॉकर का खर्च भी. लेकिन Gold ETF इलेक्ट्रॉनिक रूप से डीमैट अकाउंट में सुरक्षित रहता है.

  1. खरीद-बिक्री में आसानी

Gold ETF को तुरंत खरीदा और बेचा जा सकता है. जरूरत पड़ने पर इसे लोन लेने के लिए सिक्योरिटी की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

गोल्ड ETF में निवेश कैसे करें?

Gold ETF खरीदने के लिए सबसे पहले डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट होना ज़रूरी है. इसके बाद ब्रोकर के जरिए NSE या BSE पर उपलब्ध ETF यूनिट खरीदे जा सकते हैं. आपके बैंक खाते से रकम कटेगी और दो दिन के भीतर ETF यूनिट डीमैट अकाउंट में आ जाएंगे. बेचने की प्रक्रिया भी ट्रेडिंग खाते के जरिए ही पूरी होती है.

कितना निवेश करना चाहिए सोने में?

फाइनेंशियल एक्सपर्ट मानते हैं कि सोना पोर्टफोलियो में “सुरक्षा कवच” की तरह काम करता है, लेकिन इसमें ज़्यादा पैसा लगाना सही नहीं है. बेहतर होगा कि कुल निवेश का सिर्फ 10-15% हिस्सा ही सोने में रखा जाए. इससे आर्थिक संकट के समय पोर्टफोलियो सुरक्षित रहेगा, लेकिन लंबी अवधि में ज्यादा रिटर्न पाने के लिए इक्विटी और दूसरे विकल्पों पर ध्यान देना ज़रूरी है.

गोल्ड ETF ने निवेशकों को फिजिकल गोल्ड की तुलना में ज्यादा सुविधा, पारदर्शिता और सुरक्षा दी है. अगस्त में आए रिकॉर्ड निवेश ने साबित कर दिया है कि भारत में निवेशकों का रुझान अब “गहनों वाले सोने” से “निवेश वाले सोने” की तरफ बढ़ रहा है.