वाशिंगटन। अमेरिका में रह रहे भारतीय इंजीनियर्स के लिए राहत की खबर है. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि ट्रंप प्रशासन फिलहाल ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रहा है, जिसमें एच-1बी वीजाधारकों को देश छोड़ने के लिए कहा जाए.
अब इस खबर से भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी प्रोफेशनल्स काफी खुश हैं. उनके अंदर पहले ये घबराहट थी कि हो सकता है कि उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़े. अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा यानि यूएससीआईएस की ये घोषणा ऐसे वक्त में आई है, जब ऐसी खबरें निकलकर सामने आ रही थी कि अमेरिका एच-1बी वीजा नियमों को सख्त बनाने पर विचार कर रहा है. यहां तक कि इसके बाद आईटी सेक्टर के बहुत से लोगों को नोटिस भी भेजा गया था.
विदेशी लोगों के लिए एच1बी वीजा को देखनेवाली एजेंसी यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज के चीफ ऑफ मीडिया रिलेशंस जॉनाथन ने बताया कि यूएसआईसीएस की तरफ से एसी-21 की धारा 104 (सी), जो विदेशी नागरिक को एच-1बी वीजा पर 6 साल से ज्यादा रहने की इजाजत देता है, उसमें फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है.
क्या होता अगर एच-1बी वीजा नहीं बढ़ाया जाता?
अगर एच-1B वीजा नहीं बढ़ाने का प्रस्ताव लागू हो जाता, तो करीब 7.5 लाख स्किल्ड भारतीय इंजीनियरों को अमेरिका छोड़कर वापस भारत आना पड़ता. डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्यॉरिटी के साथ मेमो के रूप में साझा किया गया ये प्रस्ताव उन विदेशी वर्करों को अपना H-1B वीजा रखने से रोक सकता था, जिनके ग्रीन कार्ड आवेदन लंबित पड़े हों. दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ की नीति का वादा 2016 के चुनाव प्रचार में किया था.
इसलिए बाद के दिनों में ये खबर आ रही थी कि अमेरिकी प्रशासन एच-1बी वीजा धारकों की वीजा अवधि बढ़ाने के प्रावधान को समाप्त करने पर विचार कर रहा है. बता दें कि फरवरी 2015 में ओबामा सरकार ने अमरीका में रह रहे प्रोफेशनल्स पर आर्थिक दबाव को कम करने के उद्देश्य से निर्भर पति-पत्नियों को काम करने की छूट का प्रावधान बनाया था.