•    44 साल पहले इंसान ने धरती से बाहर तारों को पहला रेडियो मेसेज भेजा था

  •   गूगल ने मानवजाति की इस उपलब्धि को सेलिब्रेट करते हुए डूडल बनाया है

  •   यह ब्रॉडकास्ट काफी शक्तिशाली था, लेकिन आज तक इसका रिस्पॉन्स मेसेज नहीं मिला

  •   गूगल के मुताबिक, 25 हजार साल बाद मिलेगा रिस्पॉन्स संदेश

आज गूगल ने मानवजाति की उस उपलब्धि को सलाम किया है जब 44 साल पहले उसने धरती के बाहर पहली बार रेडियो मेसेज (अरसीबो मेसेज) भेजा था. जानें इसके बारे में सबकुछ:

मुंबई. आज से करीब 44 साल पहले इंसान ने धरती से बाहर तारों को पहला रेडियो मेसेज भेजा था और Google ने आज इंसान की उसी उपलब्धि को सम्मानित करते हुए एक स्पेशल डूडल तैयार किया है. इस मेसेज को नाम दिया गया था अरसीबो मेसेज (Arecibo message) दरअसल वैज्ञानिकों का समूह Puerto Rico के जंगलों में स्थित अरसिबो ऑब्ज़र्वेटरी में इकट्ठे हुए और पहली बार अपने ग्रह पृथ्वी के बाहर रेडियो मेसेज भेजा.

3 मिनट के इस रेडियो मेसेज में 1,679 बाइनरी डिजिट्स (दो प्राइम नंबरों को मल्टीपल) था, जिन्हें एक ग्रिड यानी 23 कॉलम और 73 पंक्तियों में व्यवस्थित किया जा सकता था. नंबरों की इस सीरीज का लक्ष्य सितारों का वह समूह था, जोकि पृथ्वी से M-13, 25,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित था.

यह ब्रॉडकास्ट काफी शक्तिशाली था क्योंकि इसने अपने 305 मीटर के एंटीना से जुड़े अरसीबो के मेगावाट ट्रांसमीटर का उपयोग किया था. इस ऐतिहासिक ट्रांसमिशन का मुख्य उद्देश्य अरसीबो द्वारा हाल ही में अपग्रेड किए गए रेडियो टेलिस्कोप की क्षमताओं को प्रदर्शित करना था. गूगल के मुताबिक, चूंकि भेजा गया अरसीबो मेसेज अपने तय लक्ष्य तक पहुंचने में करीब 25 हजार साल का समय लेगा, इसलिए मानवजाति को लंबे वक्त तक इसका इंतज़ार करना होगा.

हालांकि यह इंतज़ार कितना लंबा होगा, इस बारे में कोई नहीं जानता. अभी तक यह अरसीबो मेसेज सिर्फ 259 ट्रिलियन माइल (259 trillion miles) तक ही पहुंच पाया है. यानी आज भी मानवजाति भेजे गए उसे अरसीबो मेसेज यानी रेडियो मेसेज को वापस फिर से सुन पाने का इंतज़ार कर रही है.