Doctor’s Day: 9 में घर वालों ने शादी करा दी, पढ़ाई करने के लिए बचपन में सब्जी बेची. मजदूरी की, सीमेंट के कट्टे और भट्टे से ईंटें ढोईं. इस सबके बावजूद हिम्मत नहीं हारी और BSC की पढ़ाई की. इसके बाद MBBS की पढ़ाई की. सर्जरी में PG किया और अब एम्स में सर्जरी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं.

यह कहानी है डॉक्टर ओम प्रकाश प्रजापति की जिन्होंने अभावों में रहकर पढ़ाई की और अब देश के सर्वश्रेष्ठ मेडिकल कॉलेजों में नए डॉक्टर तैयार कर रहे हैं. डॉक्टर ओमप्रकाश प्रजापति ने बताया कि उनका जन्म राजस्थान के जोधपुर के भीमसागर गांव में हुआ. अपने भाई- बहनों में वे सबसे छोटे हैं. पिता खेती करते हैं. ऐसे में घर का खर्च चलाना आसान नहीं था.

डॉ ओमप्रकाश IAS बनना चाहते थे

डॉक्टर ओमप्रकाश ने बताया कि वे IAS बनना चाहते थे. इसके बाद जोधपुर में ही बीएससी में स्नातक करने के लिए दाखिला लिया. उन्होंने स्नातक की परीक्षा से एक दिन पहले यह निर्णय लिया कि वे अब डॉक्टर बनेंगे. डॉक्टर बनने का ख्याल वहां कुछ डॉक्टरों की सेवा को देखते हुए आया. उन्होंने इसके बाद पीएमटी परीक्षा की तैयारी की और पुणे के सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले लिया. उन्होंने बताया कि फीस भरने के पैसे नहीं थे, तो कई लोगों ने मदद से इनकार कर दिया था.

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पढ़ाई के लिए पैसे नही थे

कालूराम प्रजापति नामक एक व्यक्ति ने उनकी पांच साल की एमबीबीएस की फीस भरी. एमबीबीएस के बाद एक व्यक्ति उनके पास आया और कहा कि मेरी बेटी से शादी कर लो तो एक करोड़ रुपये और गाड़ी दूंगा. डॉक्टर ओमप्रकाश ने बताया कि बाल विवाह हुआ है और अब उनकी पत्नी कुछ दिन बाद उनके साथ रहने लगेंगी. उन्होंने 2010 से पत्नी के साथ रहना शुरू कर दिया, फिर पीजीआई चंडीगढ़ में एमएस सर्जरी पास की.
उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ में एमएस सर्जरी पास की. एम्स में बतौर सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर काम किया और अब एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे हैं. अब वे किडनी प्रत्यारोपण के मशहूर सर्जन हैं. गांव से आने वाले गरीब लोगों के लिए दिल्ली में रुकने का इंतजाम भी करते हैं.

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डॉक्टर ओमप्रकाश ने बताया कि जब वे नौंवी में थे तो उनका विवाह करा दिया गया. हालांकि, पत्नी बाद में वर्ष 2010 में उनके साथ रहने आईं. डॉक्टर ओमप्रकाश ने बताया कि वे अपना खर्च चलाने के लिए पास के कस्बे लोहावट में आइसक्रीम बेचते थे. ट्रेनों में चाय और बिस्कुट भी बेची. उन्होंने कक्षा 12 के दौरान कुछ दिन सब्जियों का ठेला लगाया.