शुभम नांदेकर, पांढुर्णा। मध्यप्रदेश के पांढुर्णा जिले में आज यानी 3 सितंबर से सावरगांव के बीच जाम नदी के तट पर मेले की शुरुआत हो चुकी है। परंपरा के नाम पर यहां पत्थरबाजी की जाती है। इस खूनी खेल में हर साल कई लोग घायल होते हैं, और इस बार भी पत्थरबाजी की परंपरा में पांढुर्णा पक्ष के 90 और सावरगांव से 56 गोटमार खिलाड़ी घायल हो गए। यानी अब तक 146 गोटमार खिलाड़ी घायल हुए हैं।

जाम नदी के तट पर बरसते पत्थर, सर फोड़ती गोफन, टपकती लाशे और लंगड़े लूले होते लोग परंपरा के नाम पर गोटमार मेले में न जाने अब तक कितने घर परिवार उजाड़ दिए। कितनी पत्नियां बेवा हो गई। हर कोई कहता है बंद करों यह खूनी तमशा, लेकिन पोले के दूसरे दिन रोके नहीं रुकती यह विद्रुप परंपरा।

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गोटमार मेले की परंपरा


गोटमार मेला 1955 से लेकर 2023 तक कई जानें ले चुका है। मृतक के परिवार आज भी इस परंपरा की यादों में गमगीन हैं। पांढुर्णा और सावरगांव के लोग इस मेले में पत्थरबाजी की परंपरा निभाते हैं, जो अब तक कई माताओं के आंसू और सुहागों की टूटन का कारण बन चुकी है।

क्या है इतिहास


गोटमार मेला जाम नदी के किनारे वर्षों पुरानी परंपरा का हिस्सा है। इसका इतिहास प्रेमी युगल की कहानी और भोसला राजा के सैनिकों के युद्ध अभ्यास से जुड़ा हुआ है। एक प्रचलित किवदंती के अनुसार, पांढुर्णा और सावरगांव के लोगों के बीच पत्थरबाजी की शुरुआत तब हुई जब एक प्रेमी युगल के बीच झगड़े के बाद पत्थरबाजी हुई और दोनों की मौत हो गई।

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प्रशासन की कोशिशें और चुनौतियां


प्रशासन ने इस खूनी परंपरा को रोकने के कई प्रयास किए हैं, लेकिन हर बार यह परंपरा बहाल हो जाती है। हालांकि, धारा 144 और सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस ने कड़े इंतजाम किए हैं, लेकिन गोटमार मेला में पत्थरबाजी की परंपरा अभी भी जारी है। प्रशासन की ओर से मेले में खुफिया कैमरे और सिविल ड्रेस में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं, और चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं।

वहीं आज से मेले की शुरुआत हो चुकी है। जिसमें पांढुर्णा और सावरगांव के बीच गोटमार मेला में जमकर पत्थरबाजी हुई। अब तक पांढुर्णा से 90 और सावरगांव से 56 गोटमार खिलाड़ी घायल हुए हैं। कुल मिलाकर 146 गोटमार खिलाड़ी घायल हो चुके हैं।

गोटमार मेला आज भी अपने खूनी खेल के लिए प्रसिद्ध है, और परंपरा के नाम पर होने वाली इस पत्थरबाजी में हर साल कई लोग घायल होते हैं। यह मेला परंपरा के नाम पर कई परिवारों को आंसू और दर्द दे रहा है।

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