वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने पिछले कुछ दिनों से सरकार और आबीआई (RBI) के बीच चल रही खींचतान के बीच राजकोषीय घाटे पर शनिवार को बड़ा बयान दिया.
नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने पिछले कुछ दिनों से सरकार और आबीआई (RBI) के बीच चल रही खींचतान के बीच राजकोषीय घाटे पर शनिवार को बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा सरकार को राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिये रिजर्व बैंक या किसी अन्य संस्था से कोई अतिरिक्त पैसा नहीं चाहिए. हालांकि, जेटली ने कहा कि रिजर्व बैंक (RBI) के पूंजी ढांचे के लिये जो भी नई रूपरेखा बनेगी और उससे जो अतिरिक्त कोष प्राप्त होगा, उसका इस्तेमाल भविष्य की सरकारें आने वाले सालों में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में कर सकतीं हैं.
किसी तरह से अतिरिक्त पैसे की जरूरत नहीं
वित्त मंत्री ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि हमें राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिए अन्य संस्थाओं से किसी तरह के अतिरिक्त पैसे की जरूरत नहीं है. मैं साफ करना चाहता हूं कि सरकार की इस तरह की कोई मंशा नहीं है. हम यह भी नहीं कह रहे हैं कि अगले छह महीने में हमें कुछ पैसा दीजिये. हमें इसकी कोई जरूरत नहीं है. चालू वित्त वर्ष के बजट में देश के राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 3.3 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा गया है.
रिजर्व बैंक के कोष पर सरकार की नजर होने की बात को लेकर हो रही आलोचना पर जेटली ने कहा कि पूरी दुनिया में केंद्रीय बैंक के पूंजी ढांचे की एक रूपरेखा तय है. इसमें केंद्रीय बैंक द्वारा रखी जाने वाली आरक्षित राशि तय करने का प्रावधान किया जाता है. जेटली ने कहा कि हम केवल यही कह रहे हैं कि इस बारे में कुछ चर्चा होनी चाहिए, कुछ नियम होने चाहिए जिसके तहत रिजर्व बैंक के लिये पूंजी ढांचे की रूपरेखा तय हो.
उन्होंने कहा कि ऐसे में जो अधिशेष राशि होगी उसका इस्तेमाल भविष्य की सरकारें अगले कई वर्षों तक गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के लिये कर सकती हैं. रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने इस माह हुई अपनी बैठक में रिजर्व बैंक के आर्थिक पूंजी ढांचे की रूप रेखा (ईसीएफ) तय करने के लिए एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति बिठाने का फैसला किया है. यह समिति केंद्रीय बैंक के पास रहने वाली आरक्षित पूंजी का उचित स्तर के बारे में सुझाव देगी. समझा जाता है कि रिजर्व बैंक के पास इस समय 9.59 लाख करोड़ रुपये का भारी भरकम कोष रखा है.