जाजपुर. काला पत्थर (black Stone) के अवैध खनन और तस्करी के मामले में कई पॉवरफुल लोगों पर जुर्माना लगाने के बाद सरकार और प्रशासन भूल गया है. 298 करोड़ के कीमती काले पत्थरों की लूट के मामले में मीडिया के दबाव में सरकार ने जांच की और 15 पट्टाधारकों पर जुर्माना किया था. इसके बाद यह राशि वसूलने के बजाय हाथ पर हाथ रखे बैठ गए.

अवैध खनन और तस्करी के आरोपियों से वसूली के मामले में जिम्मेदार एजेंसियों का मुंह बंद है. पर्यावरण विभाग के एसआईए ने भी कलेक्टर से मुआवजे की मांग कर चुप्पी साध ली है. दूसरी ओर, वर्षों से चल रहे अवैध खनन के बावजूद तहसील, पुलिस, खनन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने केसै आंखें मूंद ली है, इस से जुड़ी नई बातें भी सामने आ रही है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पट्टाधारक चंद्रमणि परिडा के नाम पर 1 करोड़ 87 लाख 91 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है, जबकि उनकी पत्नी सावित्री परिडा के नाम पर 16 करोड़ 57 लाख 33 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. सरोज राउत के नाम पर 63 करोड़ 37 लाख 89 हजार रुपए, रंजन कुमार जेना के नाम पर 23 करोड़ 32 लाख 18 हजार रुपए, प्रहलाद लेंका के नाम पर 20 करोड़ 9 लाख 33 हजार रुपए, श्रीनिवास जेना के नाम पर 9 करोड़ 24 लाख 22 हजार रुपए, सुधांशु जेना के नाम पर 7 करोड़ 52 लाख 5 हजार रुपए, बिश्वरंजन परिडा के नाम पर 9 करोड़ 55 लाख 88 हजार रुपए, अजीत साह के नाम पर 4 करोड़ 43 लाख 72 हजार रुपए, मनोज सामल के नाम पर 8 करोड़ 63 लाख 33 हजार रुपए, रामनिवास यादव के नाम पर 4 करोड़ 76 लाख 96 हजार रुपए, ज्योत्सना जेना के नाम पर 79 करोड़ 46 लाख 1 हजार रुपए, रंगधर प्रधान के नाम पर 16 करोड़ 68 लाख 68 हजार रुपए, गंगाधर ओझा के नाम पर 19 करोड़ 15 लाख 13 हजार रुपए, कृष्ण चंद्र साहू के नाम पर 13 करोड़ 31 लाख 31 हजार रुपये. इस तरह कुल 298 करोड़ 1 लाख 96 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

यह प्रशासनिक जुर्माना सिर्फ कागजी कार्रवाई तक ही सीमित है. करोड़ों रुपये का काला पत्थर (black Stone) चुराने वाले लीज धारकों द्वारा जुर्माना अदा नहीं करने के बावजूद धर्मशाला तहसील उन्हें नए खदान का लीज देना प्रशासन के दोहरे व्यवहार को दर्शाता है.

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