अमृतसर. पंजाब में 27 दिसंबर शुक्रवार को सरकारी अवकाश रहेगा। यह घोषणा पंजाब यूनिवर्सिटी (Punjab University) ने की है। यूनिवर्सिटी ने बताया कि इसके तहत पंजाब में स्थित सभी संस्थान, कॉलेज, और मान्यता प्राप्त कॉलेज, जिनमें क्षेत्रीय और ग्रामीण केंद्र (Regional and Rural Centers) बंद रहेंगे। इसके साथ ही सभी कार्यालयों में भी अवकाश घोषित किया गया है।
यह फैसला दसवें पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादों की शहादत की स्मृति में लिया गया है। 27 दिसंबर को राष्ट्रीय बाल शहीदी दिवस (National Child Martyrs Day) के रूप में मनाने का ऐलान किया गया है।
साहिबजादों की शहादत की कहानी
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के चार साहिबजादों और माता गुजरी जी की शहादत की याद में हर साल श्री फतेहगढ़ साहिब में शहीदी जोड़ मेला आयोजित किया जाता है। दूर-दराज से श्रद्धालु शहीदी दिवस पर मत्था टेकने और श्रद्धांजलि देने के लिए आते हैं।
1705 में जब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब का किला छोड़ा, तो परिवार सिरसा नदी के पास बिछड़ गया। बड़े साहिबजादे गुरु जी के साथ रहे, जबकि छोटे साहिबजादे माता गुजरी जी के साथ थे। बड़े साहिबजादे बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह चमकौर की लड़ाई (Battle of Chamkaur) में शहीद हो गए।
छोटे साहिबजादों की अमर शहादत
1705 में मुगलों ने छोटे साहिबजादे, बाबा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और बाबा फतेह सिंह (7 वर्ष), को माता गुजरी जी के साथ फतेहगढ़ साहिब के पास पकड़ लिया। उन्हें इस्लाम स्वीकार करने का आदेश दिया गया, लेकिन दोनों साहिबजादों ने इस प्रस्ताव को सख्ती से ठुकरा दिया।
इसके बाद उन्हें फतेहगढ़ साहिब के ठंडे बुर्ज (Cold Tower) में तीन दिन और दो रातों तक प्रताड़ित किया गया। साहिबजादों ने अपने धर्म और सिद्धांतों के लिए अडिग रहते हुए दीवारों में चिनवाए जाने का सामना किया और शहीद हो गए। इस दिन, साहिबजादों की अमर कुर्बानी को याद करते हुए श्रद्धालु उनके साहस और बलिदान से प्रेरणा लेते हैं। उनकी शहादत धर्म और मानवता की रक्षा के लिए दिए गए सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक है।
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