रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देते हुए, भारतीय सेना ने पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं पर वायु रक्षा को मज़बूत करने के लिए ‘अनंत शस्त्र’ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल हथियार प्रणालियों की पाँच से छह रेजिमेंट खरीदने के लिए एक निविदा जारी की है। रक्षा अधिकारियों ने एएनआई को बताया कि भारतीय सेना द्वारा सरकारी स्वामित्व वाली भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित अनंत शस्त्र वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए निविदा जारी की गई है, जिसे पहले क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल प्रणाली के रूप में जाना जाता था। इसकी कुल लागत 30,000 करोड़ रुपये है। इससे भारत की वायु रक्षा क्षमता मजबूत होगी।

क्या है ‘अनंत शस्त्र’ प्रणाली?

‘अनंत शस्त्र’ एक वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। इसे पहले क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM) नाम से जाना जाता था। यह चलते-फिरते लक्ष्यों को खोज कर ट्रैक करने और बर्बाद करने की क्षमता रखती है। हाल ही में पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान जिस तरह ड्रोन का इस्तेमाल हुआ था, उसे देखते हुए ये बेहद अहम है। इसे पाकिस्तान और चीन के साथ लगी सीमा पर तैनात किया जाएगा।

क्या है खासियत?

यह रात और दिन दोनों समय लक्ष्यों को खोजने, ट्रैक करने और मार गिराने की क्षमता रखता है। परीक्षण के दौरान इसने रात और दिन दोनों में बराबर लक्ष्य सटीकता दिखाई है। इसकी मिसाइलों की मारक दूरी लगभग 30 किलोमीटर तक है, जो इसे छोटी से मध्यम दूरी की हवाई सुरक्षा के लिए अनुकूल बनाती है।’अनंत शस्त्र’ कम समय में लक्ष्यों पर निशाना साध सकता है, जो इसे अचानक होने वाले हमलों से निपटने में सक्षम बनाती है।

वायुसेना के लिए कितनी अहम है ये प्रणाली?

यह प्रणाली वायुसेना की मौजूदा वायु रक्षा प्रणालियों जैसे MR-SAM (मीडियम रेंज सतह से हवा मिसाइल) और आकाश मिसाइल सिस्टम के साथ काम करेगी। MR-SAM और आकाश लंबी दूरी की सुरक्षा प्रदान करते हैं, वहीं ‘अनंत शस्त्र’ छोटे और मध्यम दूरी के खतरों से रक्षा सुनिश्चित करेगी। इस प्रणाली के साथ सेना को नए रडार, शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम, जैमर और लेजर आधारित सिस्टम भी मिलेंगे, जो उसकी क्षमता को और बढ़ाएंगे।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद तेजी से क्षमता बढ़ा रही है सेना

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद से सेना तेजी से अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी है। हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने 97 तेजस लड़ाकू विमानों के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ 62,370 करोड़ रुपये का समझौता किया है। सेना में ‘रुद्र’ और ‘भैरव’ नामक ब्रिगेड की भी स्थापना की जा रही हैं। रूस से बचे हुए S-400 की आपूर्ति भी जल्द हो सकती है और अमेरिका से अपाचे हेलीकॉप्टर भी मिले हैं।

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