सत्यपाल सिंह,रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकारें बदल गई, लेकिन पीड़ित परिवार के सदस्यों को अनुकंपा नियुक्ति अभी तक नहीं पाई है. आज भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए प्रदेश के अलग-अलग जिले के 70 परिवार के सदस्य पिछले 10 साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं. एक आवेदक की मौत भी हो चुकी है. ये पीड़ित परिवार विघटित राज्य परिवहन निगम विभाग के हैं और इन्हें सीआईडीसी विभाग में मर्ज कर दिया गया था.

अनुकंपा नियुक्ति की मांग करने वाले सूरज शर्मा ने बताया कि पिछले 10 साल से अनुकंपा नियुक्ति के लिए लड़ाई लड़ रहे है. सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट काट कर थक चुके हैं. विभागीय लापरवाही की वजह से आज हमारी स्थिति दयनीय हो गई है. अब हमें कांग्रेस सरकार पर उम्मीद है कि हमारे साथ न्याय करेगी. इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय ने भी अनुकम्पा नियुक्ति दिए जाने के लिए निर्देशित किया था. जिसकी अवधि 9 अप्रैल 2020 को समाप्त हो चुकी है, लेकिन नियुक्ति नहीं मिली है.

प्रेम नारायण साहू ने बताया कि नियुक्ति की लड़ाई लड़ते-लड़के आज हमारी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है. कई परिवार ऐसे हैं जिनको अपने घर में अपनी बहनों की शादी करनी है, बच्चों को स्कूल भेजना है, ऐसे तमाम समस्या है जिनको हम अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक को अवगत करा चुके हैं, लेकिन सुनवाई कहीं नहीं हुई है. अब हमें मुख्यमंत्री भूपेश पर भरोसा है कि हमें जल्द न्याय दिलाएंगे. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के बैनर तले सीएम और राज्य के मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा गया है.