रायपुर. अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई एग्री कार्नीवाल 2022 के समापन समारोह में राज्यपाल उइके और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे शामिल हुए. इस दौरान राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा है कि, विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा अनुसंधान संस्थानों में हो रहे अनुसंधान कार्यों का लाभ किसानों तथा आम जनता को मिलना चाहिए, तभी उनकी सार्थकता है.

उन्होंने आगे कहा कि, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नवीन कृषि प्रौद्योगिकी, नवीन फसल प्रजातियों, कृषि यंत्रों एवं अन्य अनुसंधानों से छत्तीसगढ़ के किसान लाभान्वित हो रहे हैं और निरंतर विकास की राह पर बढ़ रहे हैं. राज्यपाल उइके ने कहा कि, नवीन कृषि अनुसंधानों एवं प्रौद्योगिकी को किसानों एवं आम जनता तक पहुंचाने में एग्री कार्नीवाल जैसे आयोजनों की महत्वपूर्ण भूमिका है.

राज्यपाल उइके ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा राज्य शासन के कृषि विभाग, छत्तीसगढ़ बायोटेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसायटी, अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, मनीला (फिलीपींस), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), कंसल्टेटिव ग्रुप ऑफ इन्टरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), एनएबीएल तथा अन्य संस्थाओं के सहयोग से आयोजित पांच दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई ‘‘एग्री कार्नीवाल 2022’’ के समापन समारोह को मुख्य अतिथि को संबोधित किया. उन्होंने इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित अनुसंधान गतिविधियों का जायजा भी लिया. उन्होंने कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय रायपुर में नवस्थापित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण भी किया.

राज्यपाल उइके ने कहा कि, छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, इसके बड़े भू-भाग पर धान की खेती की जाती है. इससे छत्तीसगढ़ को विशेष पहचान तो मिली है, लेकिन केवल एक फसल पर जरूरत से अधिक निर्भर होने के बजाय विविध फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देना होगा. छत्तीसगढ़ में लघु धान्य (मिलेट) की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो कि सराहनीय प्रयास है. हमारे किसानों को समन्वित कृषि को प्राथमिकता देना जरूरी है. इसके लिए उद्यानिकी फसलें, सब्जियां, पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, कुक्कुट पालन आदि का समावेश किया जाना चाहिए, तभी हमारे ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा.

छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल एवं कृषि प्रधान राज्य है. यहां की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है. अभी भी ग्रामीण अंचलों में धान की रोपाई और फसलों की कटाई महिलाएं ही करती हैं. खेती में नवीनतम कृषि तकनीक, मशीनरी, उन्नत बीज, आधुनिक तरीके से खेती और सिंचाई के उन्नत उपायों को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाए और उन्हें कृषि मशीनरी रियायती दरों पर किराए में उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए. यहां के आदिवासी अपने जीवन यापन के लिए वनोपज और कृषि पर मुख्य रूप से निर्भर हैं.

समापन समारोह को संबोधित करने हुए कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि, खेती किसानी की सफलता के लिए तीन बातें महत्वपूर्ण होती हैं- किसान की मेहनत, कृषि संसाधन और नवीन अनुसंधान. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अपनी स्थापना के बाद से ही निरंतर किसानों के विकास के लिए नये-नये अनुसंधान कार्य किये जा रहे हैं, नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकी विकसित की जा रही है तथा इन्हें कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों के खेतों तक पहुंचाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि, पांच दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई के माध्यम से राज्य के हजारों किसान नवीन कृषि अनुसंधानों से रूबरू हुए हैं और निश्चित तौर से वे इसका लाभ उठाएंगे. मंत्री चौबे ने कहा कि, छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों के हित में लगातार नई-नई योजनाएं संचालित की जा रही हैं, इस खरीफ वर्ष में किसानों से 110 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की जाएगी. उन्होंने कहा कि कल 17 अक्टूबर को राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत प्रदेश के किसानों के खातों में लगभग 2 हजार करोड़ रुपये की राशि और प्रधानमंत्री कृषक समृद्धि योजना के तहत लगभग 200 करोड़ रुपये की राशि स्थानांतरित की गई है. इस प्रकार किसानों को 2200 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्राप्त हुई है. चौबे ने एग्री कार्नीवाल के सफल आयोजन के लिए कुलपति डॉ. चंदेल तथा उनके सभी सहयोगियों को बधाई और शुभकामनाएं दी.

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