रायपुर. निजी होटल में लेटर्स टू माय किड्स (Letters To My Kids) पुस्तक विमोचन कार्यक्रम रखा गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल अनुसूइया उइके, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह रहे. पुस्तक की लेखिका डॉ. कृति सिसोदिया ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन से प्रेरणा लेकर इस किताब को लिखा है और इसमें उनके परिवार का पूरा सहयोग रहा. ये किताब बच्चों पर आधारित है. उनकी परवरिश पर आधारित है. किताब (Letters To My Kids) इस परिपेक्ष्य में लिखी गई, जिसे बच्चे और पेरेंट्स दोनों पढ़ सकें. किताब में 49 अलग-अलग टॉपिक पर विशेष लेख लिखा गया है. कार्यक्रम में पहुंचे अतिथियों ने किताब के लिए शुभकामनाएं दी. बता दें कि लेखिका की ये दूसरी किताब है. इससे पहले भी वे सिनेमा पर आधारित किताब लिख चुकी हैं. ऐसे ही लोगों से जुड़े विषय पर आगे भी किताब लिखने की तैयारी है.

इस अवसर पर राज्यपाल ने लेखिका को शुभकामना देते हुए कहा कि जिस उद्देश्य के साथ पुस्तक लिखी गई है, वो सफल हो. उन्होंने कहा कि आज के परिपेक्ष्य में जो समय है, उस समय में आप और हम हैं. जब हमारा जन्म हुआ तब उस समय मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक की सुविधा नहीं थी. संयुक्त परिवार रहता था, उसमें जो संस्कार मिलते थे, उस संस्कार से टॉप के बच्चे निकलते थे. वही बच्चे आज कामयाब भी हैं.

उन्होंने कहा कि आज के समय मे 6 महीने का बच्चा मोबाइल में व्यस्त हो जाता है, मां बाप को ही शिक्षा देने लगता है, मां बाप भी मोबाइल थमा देते हैं, ताकि बच्चा परेशान ना करे. माता पिता भी आज के समय मे व्यस्त हैं. ऐसे में ये पुस्तक प्रेरणादायक होगी. बच्चे जब खुद माता-पिता बनेंगे उनके लिये ये किताब तब प्रेरणादायक होगी. हमारा कर्तव्य है कि डिजिटल युग में हम युवाओं को किताब पढ़ने के लिए प्रेरित करें.

ईमानदारी से पढ़ूंगा किताब- रमन सिंह

डॉ. रमन सिंह ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ये किताब जब हाथ में आई तब देर हो चुकी, मेरे बच्चे बड़े हो चुके, लेखिका ने मेरे बहाने नई पीढ़ी के लिए किताब लिखी है. बच्चें बहुत छोटे हैं, बच्चों के साथ बहुत कुछ नहीं कर पाया, बहुत कुछ मिस किया. उन्होंने कहा कि बच्चों के मन में अंकुरित होने वाला आत्मविश्वास कैसे जागृत हो सकता है, उसके लिए ये किताब पालक को प्रभावित करने के लिए है. बच्चों के साथ जाने अनजाने में हम समझ नहीं पाते, बहुत कुछ हम इग्नोर करते हैं, किताब में उन सबको समाहित किया गया है. लेखिका ने कलम उठा लिया है, बढ़िया किताब लिखने की हिम्मत की, आगे भी लिखें. बधाई देता हूं. किताब मैंने पढ़ी नही है, ईमानदारी से किताब अब पढूंगा.