लक्ष्मीकांत बंसोड़, डौंडी। डौंडी ब्लॉक के ग्राम लिमऊडीह में हाथियों का झुंड देखा गया था. एक हाथी तो गांव के नयापारा तक में घुस गया था, जो फिर जंगल वापस लौट गया. दूसरे दिन दिन भर हाथियों की कहीं हलचल नहीं हुई. जिससे दिनभर विभाग भी परेशान रहा कि अब क्या करेंगे? वहीं आसपास के ग्रामीण भी दहशत में रहे.

वही बड़ी बात यह सामने आ रही है कि हाथियों को जीपीएस सिस्टम से ट्रेस करने यानी ढूंढने के लिए रेडियो कॉलर लगाया गया है. एक हाथी चंदा पर यह डिवाइस लगा है लेकिन अब यह डिवाइस भी 2 दिन से काम नहीं कर रहा है. इसकी वजह यह है कि उसमें जो बैटरी लगी रहती है वह एक्सपायर हो चुकी है. जिसकी एक्सपायरी डेट होती है वह कुछ दिन पहले ही 4 साल पूरी हो गई है. अब उसका कुछ नहीं हो सकता. इसलिए टीम ऑनलाइन गूगल मैप से हाथियों को ट्रेस नहीं कर पाएगी. अब विभाग की चुनौती भी बढ़ गई है कि बिना तकनीकी सहारे हाथियों का पीछा कैसे करेंगे.

पहले लोकेशन ट्रेस हो जाती थी कि हाथी इस इलाके में है और उस इलाके की निगरानी की जाती थी. लेकिन अब लोकेशन ही नहीं मिल पाएगा.यह तब मिल पाएगा जब कोई हाथियों को प्रत्यक्ष देखेंगे या फिर उनका कहीं कोई निशान नजर आएगा. दिन भर आज हाथी नजर ही नहीं आए.

विभाग के कई टीमें बालोद, गुरुर, दल्ली, भानूप्रतापपुर रेंज के अधिकारी सहित दुर्ग से सीसीएफ शालिनी रैना तो वही डीएफओ सतोविशा समाजदार तक भी दिन भर इलाके में डटी रही. लेकिन हाथी कहीं नजर नहीं आए तो वही रात 9:30 बजे की स्थिति में ग्रामीणों द्वारा सूचना मिली कि हाथी ग्राम मरदेल के गन्ने बाड़ी में छिपे हुए हैं.

इस संबंध में डौंडी के रेंजर पुष्पेंद्र  साहू का कहना था कि ग्रामीणों द्वारा ही यह जानकारी दी जा रही है लेकिन पुष्टि नहीं हुई है कि हाथी वहां है. मौके पर जाकर देखेंगे तभी कुछ कह पाएंगे. लिमऊ डीह से लगभग 3 से 4 किलोमीटर दूर के दायरे में मरदेल गांव है. दोनों गांव का जंगल लगा हुआ है. हो सकता है ग्रामीणों की सूचना में सच्चाई हो लेकिन विभाग द्वारा अभी इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई है.

रेंजर का कहना है कि 2 दिन से वाइल्डलाइफ की टीम द्वारा लोकेशन ट्रेस भी नहीं हो पा रही है. बताया जाता है कि रेडियो कॉलर की बैटरी एक्सपायर हो गई है. अब प्रत्यक्ष देखने पर या कहीं कोई निशान मिलने पर ही हाथियों को ट्रेस किया जा सकेगा इसलिए पहले से ज्यादा निगरानी करनी होगी.