ग्वालियर। मध्य प्रदेश के सभी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बाद उनके सामूहिक इस्तीफों की वजह से ग्वालियर के जीआर मेडिकल कॉलेज के अधीन आने वाले जयारोग्य अस्पताल समूह में भर्ती मरीजों की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर पड़ रहा है. लेकिन जूडा यानी जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार अपने ही द्वारा घोषित की गई मुद्दों और मांगों को पिछले कई सालों से अनसुना कर रही थी, इसलिए यह नौबत बनी. हालांकि अब दोनों पक्षों की बातचीत और तैयारी के बाद सुलह की नौबत भी बन रही है.

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जूनियर डॉक्टरों के एक साथ हड़ताल पर जाने और उसके बाद सामूहिक इस्तीफे दिए जाने से जयारोग्य अस्पताल समूह के अंतर्गत आने वाले सभी विभागों में मरीजों की देखरेख का संकट खड़ा हो गया है. जिसके बाद जीआर मेडिकल कॉलेज के डीन और अधीक्षक नरम रुख अपनाते हुए जूनियर डॉक्टरों को अपने स्टूडेंट और बच्चे मानते हुए काम पर लौट आने की अपील कर रहे हैं. इसके लिए सरकार और डॉक्टरों के बीच मध्यस्था के माध्यम से सुलह की उम्मीद भी जता रहे हैं.

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प्रदेश के अलग-अलग मेडिकल कॉलेज भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रीवा और ग्वालियर के जीआर मेडिकल कॉलेज सहित करीब 3 हजार जूनियर डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे का असर अब स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर होने लगा है. जिसकी चिंता अब प्रदेश सरकार को शायद होने लगी है. वहीं जूनियर डॉक्टर मानते हैं कि उन्होंने सरकार से हरसंभव बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग के मंत्री ने उनकी मांगों को अनसुना कर दिया. अब हाईकोर्ट का आदेश भी बीच में आ गया है, लेकिन इन सबके लिए सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग जिम्मेदार है. जबकि जूनियर डॉक्टरों ने अपनी जान की बाजी लगाकर कोविड काल में मरीजों की सेवा की है.

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