प्रदीप गुप्ता, कबीरधाम। जिले में धान कटाई के साथ ही चना की फसल की बोआई भी शुरू हो चुकी है, लेकिन इस वर्ष बेसमय हो रही बारिश से किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तरफ बारिश की वजह से कटाई के बाद रखा धान भीग रहा है, वहीं दूसरी ओर चना की फसल लेने वालों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

जिले में धान के बाद गन्ना और चना की सर्वाधिक फसल ली जाती है. इस बार करीबन 87 हजार हेक्टर में चना की फसल ली गई है, लेकिन अचानक हुई बारिश से चना सहित अन्य दलहनी फसलों – तिवरा, राहर, मटर को भारी नुकसान हुआ है. इस बार बोआई के समय बारिश की वजह से खेतों में पानी भरने से पहले तो बीजों का सही अंकुरण नहीं हो पाया. वहीं अब खेतों में अधिक पानी भरने से जड़ और बाली सड़ने के साथ अन्य मृदाजनित बीमारियां हो रही है.

कृषि विभाग की माने तो अचानक हुई बारिश के कारण दो हजार हेक्टेयर से ज्यादा चने की फसल प्रभावित हुई है, लेकिन किसानों की माने तो आंकड़ा इससे कहीं अधिक है. खराब हुए फसल का मुआवजा भी उन्हीं किसानों को मिलेगा, जिन्होंने बीमा कराया जाएगा. अब तक 700 से अधिक किसानों ने चना फसल प्रभावित होने की सूचना दे चुके हैं. विभाग की ओर से खराब हुए फसल का सर्वे कर मुआवजा के लिए शासन तक आवेदन भेजने की बात कही जा रही है. वहीं किसान सरकार के मुआवजा की मांग कर रहे हैं.

तहसीलदार मनोज रावटे का कहना है कवर्धा ब्लाक के मैनपुरी, छांटाझा, बदरडीह सहित दर्जनों गांव में बेमाइसम बारिश से चना का फसल खराब हो गई है. पटवारी और राजस्व विभाग के अधिकारी को संबंधित गांव में भेजकर सर्वे कराया जाएगा, उस आधार पर किसानों को मुआवजा दिया जाएगा. जिले में लगभग तीन हजार एक चना का फसल खराब हो गया है.