पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. छत्तीसगढ़ का एक गांव ऐसा है, जहां 20 दिनों के भीतर 3 लोगों ने आत्महत्या की है. वहीं 15 लोगों को आत्महत्या के प्रयास करते बचाया गया. बता दें कि इस गांव में 200 से ज्यादा हायर सेकंडरी पास बेरोजगार हैं. 400 से ज्यादा ऐसे कृषक हैं, जो 382 हेक्टेयर भूमि कृषि कार्य करते तो हैं पर उन्हें योजनाओं का लाभ नहीं मिलता. पट्टा बनाने चार पीढ़ी से दफ्तर का चक्कर काट रहे. हम बात कर रहे हैं मैंनपुर ब्लॉक के इन्दागांव की, यहां की आबादी 3500 से ज्यादा है, लेकिन यह गांव सुर्खियों में तब आया जब यहां के युवाओं के आत्महत्या की चलन अचानक 20 दिनों में बढ़ गई.

इंदागांव में 3 मार्च से 21 मार्च तक कुल 11 लोगों ने आत्महत्या के प्रयास किए, जिसमें 3 अपने इरादे में सफल हो गए. भेजा कोटपारा में आत्महत्या के प्रयास करने वालों की संख्या रोजाना बढ़ती जा रही है. इस मोहल्ले से अब तक 15 लोगों के नाम सूचीबद्ध किए जा चुके हैं. मामला प्रकाश में आने के बाद मैनपुर एसडीएम, एसडीओपी और बीएमओ गांव में शिविर लगाकर ग्रामीणों की काउंसिंल किए. इस मामले में सीएमएचओ गार्गी यदु ने कहा कि मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों का दल प्राथमिक काउंसलिंग कर आई है. सोमवार को टीम दोबारा जाएगी. आत्महत्या के प्रयास करने वालों का अलग-अलग काउंसिल करने के अलावा उत्पन्न सभी हालातों की विस्तृत जानकारी का जायजा लेगी. सोमवार के बाद ही सटीक कारणों को बताया जा सकेगा.

आंखों देखी: ग्रामीणों ने जो वजह गिनाए उसे भी जान लीजिए..

लगातार आत्महत्या के मामले समाने आने के बाद आज लल्लूराम डॉट काम की टीम इंदागांव पहुंचकर वजह जानने की कोशिश की. सुबह 9 बजे गांव के सरपंच, पंच, कोटवार, पटेल, पुजारी से लेकर 100 से ज्यादा ग्राम प्रमुख माता देवालय के पास मौजूद थे, जो ग्राम देवी को आह्वान कर गांव में शांति की कामना के लिए पूजन कर रहे थे. ग्राम पुजारी सुंदर ने बताया कि लगातार बढ़ रहे मामले से गांव में भय व्याप्त है. आत्महत्या का प्रयास थमने का नाम नहीं ले रहा. ग्रामीणों की इच्छा अनुरूप शांति के लिए देवी का आवाह्न पूजन किए.

240 किसानों को मिलता है कृषि योजनाओं का लाभ, 400 से ज्यादा वंचित

गांव की आबादी 3500 से ज्यादा है. इनमें 600 से ज्यादा किसान है. जीविकोपार्जन के लिए कृषि और वनोपज ही एक मात्र साधन है. हैरानी की बात है कि इस गांव के केवल 240 कृषकों के 112 हेक्टेयर भूमि का ही पंजीयन है. 400किसानों के 382 हेक्टेयर कृषि भूमि का जिक्र राजस्व रिकॉर्ड में नहीं है. पीड़ित किसान मन्नू राम महाकुर ने बताया कि 13 एकड़ कृषि भूमि है. पिछले 4 पीढ़ी से परिवार कृषि कार्य करते आ रहे हैं, लेकिन उसके भूमि का अब तक पट्टा नहीं बना. भास्कर चक्रधारी की भी यही पीड़ा थी. हर दूसरा किसान पट्टा की समस्या से जूझ रहा है. किसान लगातार तहसील, कलेक्टर से लेकर कमिश्नरी का चक्कर काट रहे हैं. कई बार उन्हें आश्वाशन मिला पर घास भूमि में दर्ज उनके काबिज भूमि का कृषि पट्टा नहीं मिला. कृषक अपनी उपज व्यापारी को बेचते हैं. उन्हें खाद बीज लोन की सुविधा नहीं मिलती.

हायर सेकंडरी पास 280 ग्रामीण बेरोजगार

ग्राम के सरपंच प्रतिनिधि केसरी ध्रुव,पूर्व उपसरपंच रूप सिंह बस्तिया ने बताया कि गांव में 12वीं पास बेरोजगारों की संख्या 280 है. इनमें से आधे आंध्रप्रदेश मजदूरी करके लौट चुके हैं. कुछ आज भी मजदूरी करते हैं. आत्महत्या का प्रयास करने वाले ज्यादातर विवाहित बेरोजगार हैं. कुछ सहपाठी व अपने मित्र के मौत के बाद खुद मौत को गले लगाने की कोशिश किए. मौत या मौत के प्रयास का प्रमुख वजह बेराजगारी भी है. हाथ में काम नहीं होने से युवक नशा पान का रास्ता भी अपना रहे हैं. काम होता तो शारीरिक और मानसिक रूप से व्यस्त रहते पर यहां काम का अभाव है.

प्रशासनिक दगाबाजी से नाराज हैं ग्रामीण

इंदागांव के ग्रामीण प्रशासनिक दगाबाजी के चलते नाराज दिखे. प्रशासनिक दौरे के बाद अफसर अभी आश्वस्त कर रहे, जिस पर ग्रामीण भरोसा नहीं कर रहे. वजह पूछने पर नन्हे सिंह, रूपसिंह, केशरी आदि ने बताया कि ग्राम में उप तहसील खोला गया पर कभी-कभी यहां अफसर आकर खानापूर्ति करते हैं. सहकारी बैंक, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वीकृति के बाद भी नहीं खोला गया. नल जल योजना से आधा अधूरा ग्रामीणों तक पानी पहुंच रहा है. भुजिया पारा में पेयजल का संकट है. मिडिल स्कूल में शिक्षक की कमी, भवन विहीन आंगनबाड़ी केंद्र संचालन के अलावा प्री मीट्रिक कन्या धात्रावास की मांग पर ध्यान नहीं दिया जाना ग्रामीणों की नाराजगी की बड़ी वजह है.