नई दिल्ली। आज जीएसटी काउंसिल की बैठक है. दरअसल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानि जीएसटी को लेकर सरकार लगातार निशाने पर है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बीच बैठक हुई थी, जिसमें जीएसटी पर चर्चा की गई थी. अब आज होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में सरकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को राहत दे सकती है.

बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के नेतृत्व में मंत्रियों का समूह गठित

बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के नेतृत्व में मंत्रियों का समूह गठित किया गया है. सुशील मोदी ने कहा कि छोटे व्यापारियों को राहत पहुंचाने की कोशिश की जाएगी.  उन्होंने कहा कि जिन व्यापारियों का सालाना टर्नओवर 1 करोड़ 5 लाख रुपए तक है, उन्हें हर महीने के बदले हर 3 महीने पर जीएसटी भरने की छूट दी जा सकती है. वहीं रिवर्स चेंज मैकनिज्म व्यवस्था को फिलहाल रोकने का सुझाव सुशील मोदी ने दिया है. उन्होंने कहा कि कंपाउंडिंग स्कीम के तहत 75 लाख की सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए किया जाए.

बता दें कि जीएसटी के तहत राज्यों में वैट व्यवस्था को लेकर हर महीने विवरणी दाखिल करनी होती है, जिसके कारण छोटे व्यापारी परेशान हैं. जीएसटी का अनुपालन मार्च 2018 तक टाला जा सकता है.

निर्यातकों से जुड़े मुद्दों को देखने के लिए राजस्व सचिव हंसमुख अधिया की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी. आज होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में समिति अपनी रिपोर्ट रख सकती है.

सुरेश प्रभु करेंगे निर्यातकों से मुलाकात

वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु आज एक्सपोर्टर्स से मिलेंगे. सरकार निर्यातकों को राहत दे सकती है.

कुछ राहत दे सकती है सरकार

 

अभी आने वाले 1 साल में गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में व्यापारी वर्ग की नाराजगी सरकार को भारी पड़ सकती है. इसी के मद्देनजर सरकार कुछ राहत जीएसटी में दे सकती है. छोटे व्यापारियों के लिए छूट की स्लैब करीब डेढ़ करोड़ की जा सकती है. कपड़ा उद्योग को राहत और पेट्रोल डीजल को जीएसटी के तहत लाया जा सकता है. क्योंकि अभी पेट्रोल-डीजल पर सरकार चौतरफा घिरी हुई है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत लगातार घटने के बावजूद यहां पेट्रोल-डीजल की कीमत में लगातार वृद्धि हुई है.

 

वहीं कम्पोज़िशन स्कीम के लिए रजिस्ट्रेशन को दोबारा खोला जा सकता है.

अगर छोटे व्यापारियों को एक्साइज ड्यूटी पर मिलने वाली छूट की सीमा नहीं बढ़ी, तो सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.