रायपुर। GST काउंसिल की बैठक से पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता, पूर्व विधायक और आर्थिक मामलों के जानकार रमेश वर्ल्यानी ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को आर्थिक गर्त में धकेल दिया है. आज जो देश की स्थिति है, वो सोना गिरवी रखने से ज़्यादा चिंतनीय हो गई है. उन्होंने कहा कि मोदी की नीतियों ने केंद्र और राज्य के बीच की आर्थिक संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है. आज राज्य संसाधनों के लिए तरस रहे हैं. चूंकि ज़्यादातर राज्य भाजपा शासित हैं. इसलिए वे चुप हैं और गैर भाजपा राज्यों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

केंद्र के गले की हड्डी बनी जीएसटी 

रमेश वर्ल्यानी ने कहा कि एक देश एक टैक्स के नारे के साथ मोदी सरकार द्वारा लाए गए. GST ने एक ओर जहां राज्यों की अर्थव्यवस्था को संकटग्रस्त अवस्था में डाल दिया है. वहीं दूसरी ओर व्यापार-उद्योगों को अनेक विवरण पत्रों के कंपलायंस के बोझ से लाद दिया है. जीएसटी लागू होने पर केंद्र सरकार ने राजस्व बढ़ोत्तरी के जो सपने दिखाए थे, वे धरातल पर इन चार सालों में नहीं उतर पाए. अब हालत यह है कि जी.एस.टी केंद्र सरकार के गले की हड्डी बन गया है. जो पैसा राज्यों को क्षतिपूर्ति ग्रांट के रूप में मिलना था. उसे मोदी सरकार अब कर्ज़ लेकर राज्यों को चुका रही है.

केंद्र ने राज्य पर डाला वैक्सीन का बोझ

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कोरोना काल की महामारी के चलते देश के सभी राज्यों के बजट का बड़ा हिस्सा आम आदमी के जीवन की रक्षा के लिए स्वास्थ्य सेवाओं और जीविकोपार्जन की व्यवस्था में खर्च हुआ है. केंद्र सरकार बता नहीं रही हैं कि हज़ारों करोड़ रुपयों के पीएम केयर्स के पैसों का क्या हुआ ? उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार ने 18 से अधिक उम्र के लोगों को वेक्सीन से अपना पल्ला झाड़कर वैक्सीन का बोझ भी राज्यों पर डाल दिया है. विशेषज्ञ बता रहे हैं कि नरेंद्र मोदी ने बिना किसी तैयारी के टीकाकरण की घोषणा कर दी. अब न वे राज्यों को टीका उपलब्ध करवा पा रहे हैं और न राज्यों के लिए टीका ख़रीदने की व्यवस्था कर रहे हैं.

कल GST काउंसिल की बैठक

उन्होंने कहा कि एक लंबे अर्से के बाद जीएसटी काउंसिल की बैठक कल होने जा रही है. जबकि कोरोना की दूसरी लहर में जब देश के लोग महंगे दाम पर ऑक्सीजन, मेडिकल इंस्ट्रूमेंट और दवाइयां लेने मजबूर हैं. उनको तत्काल राहत पहुंचाने के लिए जीएसटी काउंसिल की बैठक बुलाकर इन वस्तुओं को टैक्स फ्री करने का निर्णय लिया जाना था. लेकिन “रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था” की तर्ज पर मोदी सरकार राजनीति कर रही थी.

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छत्तीसगढ़ को बहुत नुकसान

प्रवक्ता वर्ल्यानी ने कहा कि GST काउंसिल को विभिन्न राज्यों विशेष रूप से उत्पादक राज्यों की गिरती अर्थव्यवस्था को देखते हुए जीएसटी के ढांचे में व्यापक सुधार करने के लिए कदम उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में कोल का उत्पादन किया जाता है. इस पर प्रति टन 400 रुपए सेस लगाया जाता है. यह संपूर्ण राशि केंद्र को प्राप्त होती है. इस राशि में से 50 प्रतिशत राशि राज्य को दिया जाना चाहिए. प्रति वर्ष 6 हजार करोड़ की सेस राशि का संग्रहण छत्तीसगढ़ राज्य से होता है. 50 प्रतिशत यानी 3 हजार करोड़ राशि राज्य को प्राप्त होगी.

अपनाना चाहिए ये फॉर्मूला

जीएसटी की वर्तमान व्यवस्था अनुसार कर की राशि का 50 प्रतिशत राज्य को और 50 प्रतिशत राशि केंद्र को प्राप्त होती है. जीएसटी लागू होने के पूर्व अनेक ऐसी वस्तुएं थीं, जिन पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क की वसूली नहीं की जाती थी, लेकिन वर्तमान व्यवस्था में इन वस्तुओं पर भी केंद्र को कर की राशि प्राप्त हो रही है. जिससे राज्यों को नुकसान हो रहा है. अतः वर्तमान कर की राशि 50-50 प्रतिशत के स्थान पर 2 तिहाई राशि राज्य को और एक तिहाई राशि केंद्र को दिये जाने का फॉर्मूला तय किया जाना चाहिए.

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