Gupt Navratri 2024 : गुप्त नवरात्र में मुख्य रूप से किसी विशेष साधना के लिए पूजा-अर्चना की जाती है. यह पूजा गुप्त रूप से होने के चलते ही इन दोनों नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है.गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं. गुप्त नवरात्रि न सिर्फ तांत्रिक साधनाओं के लिए बल्कि, आम भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होती है. आम भक्त 9 दिनों तक माता देवी के नौ रूपों की पूजा कर भोग लगा सकते हैं.

नवरात्रि के दौरान पूजा पाठ में भोग का भी खास महत्व होता है. देवी देवताओं को उनकी रुचि के अनुसार अवश्य भोग लगाना चाहिए.

  • आषाढ़ के गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2024) में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए काली देवी की पूजा की जाती है. इसमें घी से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
  • दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मां तारा की पूजा होती है, इसमें दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
  • तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा आराधना की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए त्रिपुरा सुंदरी की पूजा की जाती है. इस दिन पंचामृत का भोग लगाएं.
  • चौथे दिन कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए भुनेश्वरी देवी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन मालपुआ का भोग लगाएं.
  • पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए माता छिन्नमस्तिका की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन केले का भोग लगाएं.
  • छठे दिन मां कात्यायनी देवी की पूजा आराधना की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए माता त्रिपुरा देवी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
  • सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए माता धूमावती देवी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन मीठे पानी का भोग लगाएं.
  • आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए माता बगलामुखी देवी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन नारियल के लड्डू का भोग लगाएं.
  • नौवे दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मातंगी देवी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन केसर का भोग लगाएं.
  • अंतिम दिन माता कमला की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन खीर, पूरी, हलवा का भोग लगाएं.