गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं राज्यपाल

बिलासपुर। दृढ़ निश्चय और बुलंद हौसले के साथ कठिन से कठिन राह भी आसान हो जाती है. समाज और राष्ट्र के प्रति भी हमारी जिम्मेदारियां होती है, जिनका निर्वहन हमें पूरी निष्ठा के साथ करना चाहिए. यह बात राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आज यहां बिलासपुर के गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित 9वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही. इस दौरान राज्यपाल ने 141 उत्कृष्ट विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल तथा 81 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की.

राज्यपाल उइके ने उपाधि प्राप्त करने विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दीक्षांत, दीक्षा का अंत नहीं है, बल्कि यह दीक्षा का प्रारंभ है. इसके बाद जीवन के कर्म क्षेत्र में प्रवेश कर नए अनुभवों को सीखने का मौका मिलेगा. अध्ययन का काल हमारे जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है. इस समय हमारे अंदर संस्कारों का निर्माण और क्षमताओं का विकास होता है. शिक्षा हमें संस्कारवान, सौम्य और संयमी बनाती है.

राज्यपाल ने कहा कि ज्ञान ही वह अस्त्र है, जो हमें जीवन की कठिनाइयों से लड़कर आगे बढ़ने की राह दिखाता है. ज्ञान अर्जन करने की कोई सीमा नहीं होती है और न ही यह उपाधियों तक सीमित होती है, बल्कि यह आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है. उन्होंने विद्यार्थियों से आव्हान किया कि उन्होंने इस विश्वविद्यालय से जो शिक्षा और ज्ञान ग्रहण किया है, उसे इस अंचल के विकास में लगाएं. साथ ही विद्यार्थियों से कहा कि वे लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक कर समाज को सुसंस्कृत और सभ्य बनाने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं.

राज्यपाल उइके ने कहा कि यह विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध समाज सुधारक और सतनाम पंथ के संस्थापक गुरू घासीदास के नाम पर स्थापित है. गुरू घासीदास ने हमेशा समाज के कमजोर वर्ग के उत्थान के लिये सद्मार्ग सुझाया. उन्होंने कहा कि मानवीय संवेदना के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी निष्ठा से करने पर जीवन में सफलता अवश्य मिलती है. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने जीवन में लगातार परिश्रम करें और आगे बढ़कर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करें, साथ ही उन्होंने सभी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की.

इस अवसर पर मौजूद केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि एक आशावादी दृष्टिकोण आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायता करता है. शिक्षा आपको इस योग्य बनाती है कि आप अपने जीवन, समाज और देश की समस्याओं को पहचान कर उनका निदान करने में सक्षम हों. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगी. संत शिरोमणी गुरू घासीदास जी की विरासत से ओतप्रोत यह विश्वविद्यालय देश-विदेश में उच्च शिक्षा के एक महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने में सफल होगा. समारोह को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी,सांसद अरूण साव एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर अशोक मोडक ने भी संबोधित किया.

कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि गुरू घासीदास के राज्य विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय में उन्नयन के पश्चात निरंतर शोध में नवाचार और विकास को बढ़ावा दिया गया है. विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में बड़ी संख्या में शोध प्रकाशित किए हैं.
इस अवसर पर बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, अटल बिहारी विश्वविद्यालय के कुलपति एडीएन वाजपेयी, पं. सुंदर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति वंश गोपाल, शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति नंद कुमार पटेरिया, कुलपति आलोक कुमार चक्रवाल और कुलसचिव प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार के साथ विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी, कर्मचारी एवं अध्यापकगण उपस्थित थे.

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