इमरान खान, खंडवा। क्या आप किसी ऐसे शहर को जानते है ? जहां दो दिनों तक सब कुछ मुफ्त मिलता हो! नगर में आने वाले मेहमानों का स्वागत पूरा शहर मिलकर करता हो जी हां ये सच है। ऐसा ही कुछ होता है मध्यप्रदेश के खंडवा में जहां गुरु पूर्णिमा पर्व के दौरान नगरवासी, जात-पात और धर्म का भेद मिटाकर, बाहर से आने वाले भक्तों की सेवा करते है। हर साल गुरुपूर्णिमा पर देशभर के लाखों भक्त “दादा दरबार” में माथा टेकने आते है।

तीन सौ से अधिक भंडारे

अगर आप की जेब में पैसे भी ना हो तो चिंता की कोई बात नहीं खंडवा में चल रहे गुरु पूर्णिमा के पर्व पर आप मनपसन्द खाना खा सकते है वह भी मुफ्त। सिर्फ खाना ही नहीं खंडवा में चाय, नाश्ता, विभिन्न प्रकार के पकवान के साथ आने -जाने के लिए टैक्सी और स्वास्थ्य खराब हो जाए तो दवाइयां भी मुफ्त मिलती है। मुफ्त की यह व्यवस्था सरकार नहीं बल्कि खंडवा के निवासी आपसी सहयोग से करते है। इस पर्व में लोगों का सेवा भाव और हिन्दू -मुस्लिम एकता का अनोखा रूप देखने को मिलता है।गुरु पूर्णिमा के दौरान खंडवा में तीन सौ से अधिक भंडारे आयोजित किये जाते हैं।

पिछले करीब 86 वर्षों से जल रही धूनी

मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में धूनी वाले दादाजी के आश्रम में देशभर से हजारों शिष्य उनकी समाधि पर माथा टेकने आते हैं। खंडवा में इंदौर रोड़ पर स्थित भगवान शंकर के अवतार कहे जाने वाले संत केशवानंद जी महाराज की भव्य समाधि स्थापित है। यहां उन्होंने सन 1930 में अपना देहत्याग किया था। केशवानंद महाराज उर्फ़ बड़े दादाजी अपने निकट हमेशा एक धूनी जलाए रखते थे। वो धूनी आज भी खंडवा में लगातार पिछले करीब 86 वर्षों से जल रही है।12 साल तक उनके शिष्य हरिहर नाथ जी महाराज ने उनकी समाधि की सेवा की। 1942 में इन्होने भी देहत्याग कर दिया। इनकी इच्छा स्वरूप हरिहर नाथ जी महाराज उर्फ़ छोटे दादाजी की समाधि भी बड़े दादाजी की समाधि के निकट स्थापित की गई। गुरु-शिष्य की इस अद्भूत मिसाल को देखने यहां देशभर से लाखों लोगों का गुरु पूर्णिमा के दिन जमावड़ा लगता है।

खंडवा अवधूत संत केशवानन्द की तपोभूमि

गुरु पूर्णिमा पर्व में शामिल होने के लिए भक्तजन सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करके यहां पहुंचते है। शहर में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं की आवभगत शुरू हो जाती है। यही वजह है की गुरुपूर्णिमा पर्व पर खंडवा आने वाले भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खंडवा अवधूत संत केशवानन्द की तपोभूमि कहलाता है। हमेशा अपने सामने आग की धूनी रमाये रखने वाले संत की समाधि खंडवा में है। जिन्हें भक्त दादाजी धुनी वाले के नाम से याद करते है। हर साल गुरु पूर्णिमा पर देशभर के लाखों भक्त इनके दरबार में माथा टेकने आते है।

पूरा खंडवा दादाजी धाम हो जाता

छत्तीसगढ़ से आए आर के शिवहरे पिछले पच्चीस वर्षो से गुरु पूर्णिमा पर्व पर खंडवा आ रहे है। वे खंडवा के नागरिकों के सेवाभाव को देखकर इतना ही कहते है की पर्व के दो दिनों तक पूरा खंडवा दादाजी धाम हो जाता है। बैतूल से खंडवा तक 15 दिनों की पद यात्रा करके दादा दरबार पहुंचने वाले नरेन्द्र सोनी बताते है की देश में सिर्फ खंडवा ही एक ऐसा शहर है जहां के नागरिक अपनी तरफ से भक्तों की भरपूर सेवा करते है। वहीं गुजरात निवासी भाई जी गुरु पूर्णिमा उत्सव देख जमकर खंडवा वासियों की तारीफ की।

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