कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। यदि आप दिव्यांग हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ लेना चाहते हैं, तो आपके पास दिव्यांगता सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है, लेकिन सर्टिफिकेट के लिए बड़ी लंबी प्रशासनिक न्यायसंगत प्रक्रिया से गुजरना होता है. यही वजह है कि ग्वालियर में कुछ शातिर जालसाजों ने इसका फायदा उठाने की कोशिश की और फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनाने का रैकेट शुरू कर दिया, लेकिन अधिकारियों की जागरूकता से इस रैकेट का खुलासा हो गया. स्वास्थ्य अधिकारियों की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल परिसर स्थित जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र से तीन फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट पकड़ में आए हैं. यह कार्ड मेडिकल बोर्ड के फर्जी हस्ताक्षर और स्थानीय निवास संबंधी दस्तावेजों में हेरफेर कर बनाए गए हैं. कंपू थाना पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज होने के बाद सिविल सर्जन कार्यालय के कंप्यूटर ऑपरेटर समेत मुरैना निवासी तीन लोगों को आरोपी बनाया है. पुलिस इसकी पड़ताल कर इस रैकेट के सरगना और अन्य सहयोगियों की पहचान करने में जुटी हुई है.

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बता दें कि संयुक्त संचालक सामाजिक कल्याण निशक्तजन विभाग ने एक लिखित शिकायत कर पुलिस को बताया है कि तीन दिव्यांग सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं और इन सर्टिफिकेट में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट भी फर्जी हो सकती है. इस सूचना को गंभीरता से लेते हुए पुलिस सक्रिय हुई और जब सिविल सर्जन कार्यालय पहुंच पूछताछ शुरू की गई तो सामने जानकारी आई कि दिव्यांगता सर्टिफिकेट पर उनके बोर्ड के डॉक्टरों के हस्ताक्षर फर्जी थे.

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सवालों के घेरे में सिविल सर्जन

पुलिस की पड़ताल में एक गंभीर मसला भी सामने आया है. सिविल सर्जन ऑफिस में बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर पदस्थ आरोपी गुरुदयाल के सिस्टम पर सिविल सर्जन की लॉगिन आईडी और पासवर्ड थे. ऐसे में सवाल उठता है कि सिविल सर्जन की लॉगिन आईडी और पासवर्ड कंप्यूटर ऑपरेटर को किस अधिकार से उपलब्ध कराया गया.

सिविल सर्जन के कंप्यूटर ऑपरेटर पर केस दर्ज

पुलिस के अनुसार प्राथमिक जांच के बाद सिविल सर्जन ऑफिस के कंप्यूटर ऑपरेटर के साथ रामनरेश, बसंत कुमार और कपिल देव नाम के आरोपियों को नामजद किया गया है. पुलिस को आशंका है कि इस रैकेट में ग्वालियर के साथ मुरैना और अन्य क्षेत्रों के भी आरोपी सामने आ सकते हैं. ऐसे में अन्य आरोपियों की पड़ताल की जा रही है.

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