कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर की डॉक्टर निहारिका सिंघल ने AI टेक्नोलॉजी की मदद से एक अनोखी पेंटिंग तैयार की है। जिसे हाल ही में UK के वेल्स शहर में आयोजित की गई इंटरनेशनल गिरमिट कॉन्फ्रेंस में प्रदर्शित किया गया। उनकी इस पेंटिंग को इंटरनेशनल गिरमिट कॉन्फ्रेंस में अवार्ड भी मिला है। डॉ. निहारिका फाइन आर्ट कॉलेज के चित्रकला विभाग में अतिथि विद्वान हैं। गिरमिट पर आधारित उनकी बनाई गई यह विश्व की पहली AI पेंटिंग है। जिसमें 18th सेंचुरी में भारत के विभिन्न राज्यों और शहरों से एग्रीमेंट पर विदेश मजदूरी के लिए भेजे गए भारतीयों की दर्द भरी कहानियां प्रदर्शित की गई है।
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इस पेंटिंग के अर्थ को जानने से पहले आपको समझना होगा कि आखिर “गिरमिट” क्या होता है। दरअसल 18th और 19th सेंचुरी में जब ब्रिटिशर्स भारत में मौजूद थे। उस वक्त भारत में अकाल पड़ा था। लोगों को काम की तलाश थी। अंग्रेजों ने इसका फायदा उठाते हुए यहां के लोगों को मॉरीशस, फिजी, अफ्रीका, लंदन आदि जगह भेजा जाता था।
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गिरमिट शब्द अंग्रेजी के एग्रीमेंट शब्द के अपभ्रंश से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ एग्रीमेंट होता है। जो लोग मजदूरी के लिए एक अनुबंध के तहत भारत से विदेश गए उन्हें गिरमिट कहा गया। इनमें महिलाएं युवा पुरुष बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल थे। अंग्रेजों ने इन्हें सपने दिखाए थे कि विदेश में उन्हें काम मिलेगा और अच्छे पैसे भी मिलेंगे लेकिन जब वह वहां पहुंचे तो उनकी जिंदगी नर्क से भी बदतर हो गई।
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उनसे दिन-रात मजदूरी कराई जाती थी बदले में उन्हें जो पैसे मिलते थे। उतने में भूख मिटाने भोजन भी मुश्किल से नसीब हो पता था। उनके साथ बंधुआ मजदूर जैसा सलूक वहां पर किया गया। डॉ निहारिका सिंघल ने उन्ही मजदूरों की दर्द भरी दास्तां को अपनी AI पेंटिंग में उकेरा हैं। उन्होंने उन गिरमिट को फिर से लोगों के जहन में ताजा किया है। जिन्होंने कई यातनाएं विदेश में सही है उन्होंने वतन वापसी के तमाम प्रयास किये, लेकिन उनकी वतन वापसी ना हो सकी,क्योंकि उन पर इतना पैसा नहीं था कि वह अपने वतन वापस आ पाए।
इतिहास के पन्ने कहते हैं कि गिरमिट अपनी हक और अधिकारों के लिए विदेश में आंदोलन करने से भी नहीं चुके। इन्हीं में से एक गिरमिट थे पंडित तोताराम, इन्होंने गिरमिट को एकजुट कर अपने हक और अधिकार की लड़ाई विदेश में लड़ी। ऐसा बताते हैं कि गिरमिट जब मायूस और थक हार जाते थे तब उन्हें पंडित तोताराम रामायण की कहानी सुना कर वापस जीने की राह दिखाते थे। इन्हें पानी के जहाज से विदेश भेजा गया था। यह भी इन पेंटिंग्स में बताया गया है।
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इंटरनेशनल गिरमिट सम्मेलन में शामिल हुई डॉ निहारिका सिंघल ग्वालियर में रहती है। उन्हें इस बात की बहुत खुशी है कि उन्होंने अपनी अनोखी AI पेंटिंग के माध्यम से अंग्रेजों के उस अत्याचार को प्रदर्शित किया। जो भारतीय मजदूर पर जुल्म की पराकाष्ठा थी। उन्हें इस बात की भी बेहद खुशी है कि उन्हें अंग्रेजों के ही देश में भारतीय जुल्म की कहानी अपनी पेंटिंग से दिखाने और सुनने का मौका मिला।
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उन्होंने कहा कि गिरमिट को इतिहास के पन्ने में दफन कर दिया गया है। वह चाहती हैं कि गिरमिट की कहानी और उनके संघर्ष के किस्से पूरा विश्व सुन सके। यही वजह है कि यूनाइटेड किंगडम के वेल्स शहर में आयोजित किए गए इंटरनेशनल गिरमिट कॉन्फ्रेंस में यह तय किया गया है कि अब यूनाइटेड किंगडम के स्कूलों में गिरमिट की कहानियों को पढ़ाया जाएगा।
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वाकई जब भारत में ब्रिटिशर्स आए तो उन्होंने भारत के लोगों को तरह-तरह से लूटा और उनका अलग-अलग तरह से शोषण भी किया। उनमें से यह गिरमिट भी एक हैं। जिन्हें अपनी पेंटिंग के माध्यम से ग्वालियर की डॉ निहारिका सिंघल ने पूरे विश्व के पटल पर स्थान देकर आजादी से पहले हुए अंग्रेजों के अत्याचार को सार्वजनिक किया है। उनकी यह AI टेक्नोलॉजी के प्रयोग कर बनाई गई। पेंटिंग कला जगत की दुनिया में एक अलग पहचान बना रही है।
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