हेमंत शर्मा, इंदौर. मध्य प्रदेश के इंदौर के ऐतिहासिक किंग एडवर्ड हॉल में आयोजित एक हैलोवीन पार्टी ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। इस पार्टी में बीजेपी नेताओं की मौजूदगी और पार्टी के बाद ऐतिहासिक धरोहर की स्थिति को लेकर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। पार्टी का आयोजन जैन सोशल ग्रुप एलिगेंट द्वारा किया गया था, जिसमें शहर के प्रमुख नाम शामिल थे। लेकिन पार्टी के बाद हॉल की दीवारों पर लिखे गए डरावने कोट्स और बनाए गए खूनी पंजों के निशानों ने इस आयोजन को विवादों में डाल दिया है।

बीजेपी नेताओं की मौजूदगी से विवाद

पार्टी में बीजेपी नेता अक्षय बम और स्वप्निल कोठारी की मौजूदगी ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। अक्षय बम, जो लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे, पार्टी की तस्वीरों में स्पष्ट रूप से नजर आ रहे हैं। विपक्ष ने इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरते हुए नेताओं की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस का कहना है कि जब शहर की ऐतिहासिक धरोहर को भूतिया रूप में तब्दील किया जा रहा था, तब इन नेताओं की मौन सहमति इस घटना में कहीं न कहीं उनके शामिल होने की ओर इशारा करती है।

मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन और एमजीएम एलुमनाई का विरोध

इस पार्टी के आयोजन के बाद मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने इसका कड़ा विरोध किया। एसोसिएशन ने किंग एडवर्ड हॉल का शुद्धिकरण भी किया और इस तरह की पार्टियों पर रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि इस ऐतिहासिक धरोहर का अपमान हुआ है और इसे लेकर प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही एमजीएम एलुमनाई एसोसिएशन ने भी इस आयोजन पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह पार्टी कॉलेज की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली थी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

दीवारों पर लिखे गए डरावने संदेश

हैलोवीन पार्टी के दौरान किंग एडवर्ड हॉल की दीवारों पर “ओ स्त्री कल आना”, “यू आर डेड”, और “इट्स योर टर्न” जैसे डरावने संदेश लिखे गए, जिससे इस ऐतिहासिक स्थल की गरिमा को ठेस पहुंची। खूनी पंजों के निशान और डरावने चित्रों ने इस धरोहर को भूतिया रूप में बदल दिया। यह घटना स्थानीय लोगों के लिए बेहद चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि यह स्थल इंदौर के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है।

एफआईआर दर्ज कराने की मांग

मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन और एमजीएम एलुमनाई एसोसिएशन ने इस मामले में आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है। उनका कहना है कि यह ऐतिहासिक स्थल सार्वजनिक संपत्ति है और इस तरह के आयोजनों से उसकी गरिमा को नुकसान पहुंचता है। पुलिस प्रशासन से दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।

प्रशासन पर दबाव

इस विवाद के बाद अब प्रशासन पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों और संगठनों की मांग है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाएं। प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

क्या होगा अगला कदम?

इस घटना के बाद सभी की नजरें अब प्रशासन की अगली कार्रवाई पर हैं। विपक्ष जहां बीजेपी नेताओं पर सवाल खड़ा कर रहा है, वहीं प्रशासन पर इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई का दबाव है। यह देखना बाकी है कि इंदौर की इस ऐतिहासिक धरोहर को वापस उसकी गरिमा कैसे लौटाई जाएगी और दोषियों को क्या सजा दी जाएगी।

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