Hanuman Janmotsav 2023 : धर्मसिंधु ग्रंथ और ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान, दान, व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं. इस दिन किए गए विष्णु पूजन से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं. इस दिन चंद्रमा भी सौलह कलाओं से पूर्ण होता है. ग्रंथों के अनुसार इस दिन एक समय भोजन करके पूर्णिमा, चंद्रमा या सत्यनारायण का व्रत करें तो सब प्रकार के सुख, सम्पदा और श्रेय की प्राप्ति होती है. इसी दिन हनुमान जी का जन्मदिवस मनाया जाता है.
नए संवत्सर की पहली पूर्णिमा होने से ग्रंथों में इसे महत्वपूर्ण पर्व माना गया है. इसे मधु पूर्णिमा भी कहा जाता है. सूर्य को अर्घ्य देकर दान, व्रत और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लिया जाता है. इसलिए इसे स्नान और दान की पूर्णिमा भी कहा जाता है.
चैत्र पूर्णिमा महत्व
पूर्णिमा को मन्वादि, हनुमान जन्मोत्सव तथा वैशाख स्नानारम्भ किया जाता है. इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में उत्सव रचाया था, जिसे महारास के नाम से जाना जाता है. यह महारास कार्तिक पूर्णिमा को शुरू होकर चैत्र की पूर्णिमा को समाप्त हुआ था. इस दिन घरों में लक्ष्मी-नारायण को प्रसन्न करने के लिये व्रत किया जाता है और सत्यनारायण की कथा सुनी जाती है. Read More : Janhvi Kapoor In Tirupati Balaji : तिरुपति बालाजी मंदिर पहुंची जान्हवी कपूर, छोटी बहन के साथ झुकाया सिर, हाथ जोड़कर की प्रार्थना …
चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्मदिवस मनाया जाता है. इस दिन हनुमान जी को सजा कर उनकी पूजा अर्चना एवं आरती करें, भोग लगाकर सबको प्रसाद देना चाहिए.
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान को संकट मोचक माना गया है. मान्यता है कि श्री हनुमान का नाम लेते ही सारे संकट दूर हो जाते हैं और भक्त को किसी बात का भय नहीं सताता है. उनके नाम मात्र से आसुरी शक्तियां गायब हो जाती हैं. हनुमान जी के जन्मोत्सव को देश भर में हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि श्री हनुमान ने शिव के 11वें अवतार के रूप में माता अंजना की कोख से जन्म लिया था.
हनुमान जन्मोत्सव का महत्व (Hanuman Janmotsav 2023)
भक्तों के लिए हनुमान जन्मोत्सव का खास महत्व है. संकटमोचन हनुमान को प्रसन्न करने के लिए भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. मान्यता है कि इस दिन पांच या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से पवन पुत्र हनुमान प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सिंदूर चढ़ाया जाता है और सुंदर कांड का पाठ करने का भी प्रावधान है. शाम की आरती के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित करते हुए सभी के लिए मंगल कामना की जाती है. Read More – आपको भी करना है शादी के पहले Solo Trip, तो Explore करने के लिए ये जगह है Best …
हनुमान जन्मोत्सव की पूजा विधि (Hanuman Janmotsav 2023)
- हनुमान जन्मोत्सव के दिन सुबह-सवेरे उठकर सीता-राम और हनुमान जी को याद करें.
- स्नान करने के बाद ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें.
- इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा में हनुमान जी की प्रतिमा को स्थापित करें. मान्यता है कि हनुमान जी मूर्ति खड़ी अवस्था में होनी चाहिए.
- पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें: ‘ॐ श्री हनुमंते नम:’.
- इस दिन हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं.
- हनुमान जी को पान का बीड़ा चढ़ाएं.
- मंगल कामना करते हुए इमरती का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है.
- हनुमान जन्मोत्सव के दिन रामचरितमानस के सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
- आरती के बाद गुड़-चने का प्रसाद बांटें.
हनुमान जन्मोत्सव के दिन बरतें ये सावधानियां (Hanuman Janmotsav 2023)
- हनुमान जी की पूजा में शुद्धता का बड़ा महत्व है. ऐसे में नहाने के बाद साफ-धुले कपड़े ही पहनें.
- मांस या मदिरा का सेवन न करें.
- अगर व्रत रख रहे हैं तो नमक का सेवन न करें.
- हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे और स्त्रियों के स्पर्श से दूर रहते थे. ऐसे में महिलाएं हनुमन जी के चरणों में दीपक प्रज्ज्वलित कर सकती हैं.
- पूजा करते वक्त महिलाएं न तो हनुमान जी मूर्ति का स्पर्श करें और न ही वस्त्र अर्पित करें.
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